नैनीताल: कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूल संचालकों के द्वारा अभिभावकों से जबरन फीस लेने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव से 11 दिसंबर को प्रदेश के प्राइवेट स्कूल संचालकों और अभिभावकों के साथ बैठक करने को कहा गया है. कोर्ट का आदेश है कि बैठक में तय किया जाए कि आखिर छात्रों के अभिभावकों से फीस लेनी है या नहीं.
मामले में सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के द्वारा नियुक्त किए गए अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में अब कोरोना की स्थिति सामान्य होने लगी है. अधिकांश स्कूल खुलने लगे हैं. उनका कहना है कि अब राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश को रद्द किया जाए. ताकि स्कूल संचालक छात्रों से फीस ले सकें. वहीं, हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह सरकार के द्वारा जारी 22 जून 2020 के शासनादेश पर भी विचार करें.
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22 जून 2020 को राज्य सरकार ने जारी किया था शासनादेश
राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को शासनादेश जारी कर कहा था कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे. उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं ली जाएगी. जिसे प्राइवेट स्कूलों ने मान लिया था.
एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने जारी किया था नोटिस
एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी कर कहा कि संचालित सभी स्कूल 10 हजार रुपए स्पोर्ट्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के रजिस्ट्रेशन पर बोर्ड को 4 नवंबर से पहले देंगे. अगर चार नवंबर तक उक्त का भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रत्येक बच्चे के हिसाब से 2,000 रुपये पेनाल्टी देनी होगी.
जिसके बाद सीबीएसई के इस आदेश को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. एसोसिएशन का कहना है कि न तो किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रदद् कर सकते हैं, न उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं. उनकी मांग है कि सीबीएसई के इस आदेश पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है और न ही कोई स्पोर्ट्स हो रहे हैं.