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कर्मचारियों के वेतन कटौती का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सरकार से मांगा जवाब

राज्य कर्मचारियों के वेतन से हो रही कटौती का मामला अब नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचा गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाईकोर्ट.
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Published : Jun 25, 2020, 1:27 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 1:37 PM IST

नैनीताल: कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में उत्तराखंड के राज्य कर्मचारियों के वेतन में हो रही कटौती का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट.

बता दें कि देहरादून निवासी दीपक बेनीवाल और अन्य ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना है कि कोविड-19 के चलते उत्तराखंड सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का शासनादेश जारी किया है, जो गलत है. इसमें प्रदेश के विभिन्न सरकारी, शासकीय सहायक प्राप्त शिक्षण संस्थान, प्राविधिक शिक्षण संस्थान, निगम, निकायों, सार्वजनिक उपक्रम और स्वायत्तशासी संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन में से एक साल तक 1 दिन की कटौती की जानी है.

यह भी पढ़ें: श्रीलंका टापू पहुंची जिला प्रशासन की टीम, तैयार किया गया हेलीपैड

उन्होंने कहा कि लिहाजा सरकार के इस शासनादेश पर रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि वेतन कर्मचारियों की निजी संपत्ति है. वहीं सरकार को इसमें कटौती करने का कोई हक नहीं है. वहीं कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा है कि अधिकार के तहत उनके द्वारा राज्य कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जा रही है. मामले में न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 26 जून को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में उत्तराखंड के राज्य कर्मचारियों के वेतन में हो रही कटौती का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश की एकल पीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट.

बता दें कि देहरादून निवासी दीपक बेनीवाल और अन्य ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना है कि कोविड-19 के चलते उत्तराखंड सरकार ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का शासनादेश जारी किया है, जो गलत है. इसमें प्रदेश के विभिन्न सरकारी, शासकीय सहायक प्राप्त शिक्षण संस्थान, प्राविधिक शिक्षण संस्थान, निगम, निकायों, सार्वजनिक उपक्रम और स्वायत्तशासी संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन में से एक साल तक 1 दिन की कटौती की जानी है.

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उन्होंने कहा कि लिहाजा सरकार के इस शासनादेश पर रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि वेतन कर्मचारियों की निजी संपत्ति है. वहीं सरकार को इसमें कटौती करने का कोई हक नहीं है. वहीं कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा है कि अधिकार के तहत उनके द्वारा राज्य कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जा रही है. मामले में न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने राज्य सरकार को 26 जून को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

Last Updated : Jun 25, 2020, 1:37 PM IST
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