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पंचायत चुनाव में आरक्षण पर नैनीताल HC ने सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में होने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण दिए जाने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा चुका है. जिससे एक बार फिर पंचायत चुनाव में संकट के बादल छाए हैं. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस मामले में 2 सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

आरक्षण मामले पर बोलते अधिवक्ता, याचिकाकर्ता.
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Published : Aug 27, 2019, 10:01 PM IST

नैनीताल: पंचायत चुनाव में आरक्षण में अनियमितता बरतने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

यह भी पढ़ें: प्लास्टिक वेस्ट से बनेगा डीजल, IIP के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के सपने को लगाए पंख

बता दें कि किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनका कहना है कि सरकार नियम विरुद्ध तरह से पंचायतों में आरक्षण लागू कर रही है, जो गलत है. वहीं, याचिकाकर्ता ने सरकार की ओर से जारी 13 अगस्त और 22 अगस्त के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. जिसमें सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया था.

अधिवक्ता, याचिकाकर्ता.

यह भी पढ़ें: फिल्म के ट्रेलर को लेकर विरोध में उतरे लोग, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

वहीं, सरकार की ओर से ग्राम पंचायत चुनाव जिसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया, उसमें आरक्षण चौथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था की गई है. जबकि, दूसरे ग्राम पंचायत चुनाव व जिनमें 50 प्रतिशत सदस्य जुड़े हैं या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है. उसमें प्रथम चक्र के आरक्षण की व्यवस्था की गई है. इसपर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार की यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के प्रधान के भी विरुद्ध है. इसलिए उत्तराखंड सरकार ये नोटिफिकेशन निरस्त करने योग्य है.

नैनीताल: पंचायत चुनाव में आरक्षण में अनियमितता बरतने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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बता दें कि किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनका कहना है कि सरकार नियम विरुद्ध तरह से पंचायतों में आरक्षण लागू कर रही है, जो गलत है. वहीं, याचिकाकर्ता ने सरकार की ओर से जारी 13 अगस्त और 22 अगस्त के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. जिसमें सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया था.

अधिवक्ता, याचिकाकर्ता.

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वहीं, सरकार की ओर से ग्राम पंचायत चुनाव जिसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया, उसमें आरक्षण चौथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था की गई है. जबकि, दूसरे ग्राम पंचायत चुनाव व जिनमें 50 प्रतिशत सदस्य जुड़े हैं या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है. उसमें प्रथम चक्र के आरक्षण की व्यवस्था की गई है. इसपर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार की यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के प्रधान के भी विरुद्ध है. इसलिए उत्तराखंड सरकार ये नोटिफिकेशन निरस्त करने योग्य है.

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उत्तराखंड में होने वाले पंचायत चुनाव में में आरक्षण दिए जाने का मामला पहुंचा नैनीताल हाई कोर्ट, जिसे एक बार फिर पंचायत चुनाव में संकट के बादल खड़े हो गए हैं।

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आरक्षण में अनियमितता बरतने मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि किच्छा निवासी लाल बहादुर कुशवाहा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार नियम विरुद्ध तरह से पंचायतों में आरक्षण लागू कर रही है जो गलत है वही याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा जारी 13 अगस्त और 22 अगस्त के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दो भागों में विभाजित किया था।


Conclusion:सरकार द्वारा एक ग्राम पंचायत चुनाव जिसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया हो उस में आरक्षण चौथे चक्र में लागू करने की व्यवस्था की गई है जबकि दूसरे 1 ग्राम में वह पंचायत जिसमें नए वोट बने हैं या जिनमें 50% ने सदस्य जुड़े हैं या कोई नई ग्राम पंचायत बनी है उसमें प्रथम चक्र का आरक्षण की व्यवस्था की गई है जो गलत है, साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार की यह आरक्षण व्यवस्था उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 के प्रधान के भी विरुद्ध है इसलिए उत्तराखंड सरकार ये नोटिफिकेशन निरस्त करने योग्य है।
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आरक्षण के मामले में 2 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- जितेंद्र चौधरी,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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