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उत्तराखंडः HC का बड़ा फैसला,  शराबबंदी पर 6 महीने के अंदर नीति तैयार करे सरकार

जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों ,स्कूलों और मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खुल रही है. जिसके चलते पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है. लिहाजा सरकार को शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए.

नैनीताल HC
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Published : Aug 29, 2019, 9:44 PM IST

नैनीताल: सूबे के युवाओं में बढ़ती नशे के प्रवृत्ति का अब नैनीताल हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है. जिसके बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को 6 माह के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को शराब की दुकानों और बार में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश भी दिए हैं. इसके अलावा 21 साल से कम उम्र के युवाओं को शराब न परोसने के नियम का भी सख्ती से अनुपालन कराने को कहा है.

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बता दें कि गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया. प्रदेश में शराब के बढ़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत को देखते हुए जनहित याचिका दायर की. जिसमें कहा गया कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों ,स्कूलों और मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खुल रही है. जिसके चलते पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है. लिहाजा सरकार को शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए.

नैनीताल HC ने युवाओं में बढ़ती शराबखोरी का लिया संज्ञान.

वहीं, याचिकाकर्ता ने शराब से हुई राजस्व को समाज कल्याण में लगाने की भी मांग की. उनका कहना है कि सरकार शराब की बिक्री में 2% सेस लेती है. जिससे कि समाज कल्याण में खर्च किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही.

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वहीं, युवाओं में बढ़ रही शराब की लत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है लेकिन उत्तराखंड में धड़ल्ले से शराब की दुकान खुल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

नैनीताल: सूबे के युवाओं में बढ़ती नशे के प्रवृत्ति का अब नैनीताल हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है. जिसके बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को 6 माह के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को शराब की दुकानों और बार में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश भी दिए हैं. इसके अलावा 21 साल से कम उम्र के युवाओं को शराब न परोसने के नियम का भी सख्ती से अनुपालन कराने को कहा है.

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बता दें कि गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया. प्रदेश में शराब के बढ़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत को देखते हुए जनहित याचिका दायर की. जिसमें कहा गया कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे में जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों ,स्कूलों और मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खुल रही है. जिसके चलते पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है. लिहाजा सरकार को शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए.

नैनीताल HC ने युवाओं में बढ़ती शराबखोरी का लिया संज्ञान.

वहीं, याचिकाकर्ता ने शराब से हुई राजस्व को समाज कल्याण में लगाने की भी मांग की. उनका कहना है कि सरकार शराब की बिक्री में 2% सेस लेती है. जिससे कि समाज कल्याण में खर्च किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही.

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वहीं, युवाओं में बढ़ रही शराब की लत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है लेकिन उत्तराखंड में धड़ल्ले से शराब की दुकान खुल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 6 माह के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं।

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प्रदेश में लगातार युवाओं में बढ़ रही शराब की लत मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा, नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 6 माह के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं, साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि शराब की दुकानों और बारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाएं वहीं 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना दें।


Body:वहीं युवाओं में बढ़ रही शराब की लत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी में कहा कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है लेकिन उत्तराखंड में नई नई शराब की दुकान खुल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।


Conclusion:आपको बता दें कि गरुड़ निवासी अधिवक्ता डीके जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में शराब के बड़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत और बीमारी को देखते हुए जनहित याचिका दायर की जिसमें कहा गया कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है जिसका पालन नहीं किया जा रहा और जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों स्कूलों, मंदिरों के आसपास शराब की दुकानें खुल रही है वहीं शराब की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है, जबकि शराब की वजह से कई परिवार बर्बाद हो गए हैं लिहाजा शराब पर पूर्ण रूप से रोक लगनी चाहिए, याचिकाकर्ता ने शराब से हुई राजस्व को समाज कल्याण में लगाने की भी मांग की, याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार शराब की बिक्री में 2% सेस लेती है जिससे शराब में हुए नुकसान के मामलों में खर्च किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही।
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं साथ ही प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बारो में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश देते हुए 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब न देने के आदेश दिए हैं।

बाईट- डी के जोशी,अधिवक्ता और याचिकाकर्ता।
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