ETV Bharat / state

जंगल की आग: सरकार के शपथ पत्र से HC संतुष्ट नहीं, PCCF को किया तलब

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग की रोकथाम को लेकर सरकार को कुछ दिशा-निर्देश दिए थे. जिन पर अभीतक अमल नहीं हुआ है. इसी को लेकर सरकार ने एक शपथ पत्र पेश किया था, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और सरकार को फटकार लगाई है. वहीं पीसीसीएफ को अगली सुनवाई पर तलब किया है.

nainital high court fire
nainital high court fire
author img

By

Published : Sep 8, 2021, 5:29 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग का खुद संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में बुधवार को सरकार की तरफ से जो शपथ पत्र पेश किया गया, उससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने सरकार को फिर से डिटेल शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ में पीसीसीएफ को भी 15 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी.

इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को अहम दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को 6 महीने में भरे और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ-साथ साल भर जंगलों की निगरानी करने को लेकर शपथपत्र पेश करे.

पढ़ें- नैनीताल हाईकोर्ट ने फेसबुक इंडिया के डायरेक्टर, केंद्र व राज्य सरकार को भेजा नोटिस, जानें क्या है मामला

कोर्ट के आदेश के क्रम में बुधवार को सरकार ने शपथपत्र पेश किया, लेकिन शपथपत्र में खाली पड़े पदों पर पदोन्नति और नई भर्तियों का कोई जिक्र नहीं था. सरकार की तरफ से कुछ भी स्पष्ट नहीं था कि कब पदोन्नति होगी. कितने पदों पर होगी, कितने पद रिक्त हैं इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की.

कोर्ट ने सरकार को 15 सितंबर तक एक डिटेल स्पष्ट शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए. साथ ही पीसीसीएफ को भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

बता दें कि मामले के अनुसार कोर्ट ने इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ से सम्बंधित मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः 2018 में संज्ञान में लिया था. जंगलों को आग से बचाने के लिए कोर्ट ने पूर्व में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे. लेकिन इस साल और अधिक आग लगने के कारण यह मामला दोबारा से उजागर हुआ.

पढ़ें- HC में रोडवेज कर्मचारी वेतन मामले में सुनवाई, परिसंपत्ति बंटवारे पर केंद्र को दिए ये निर्देश

इस साल अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ट ने प्रदेश के जंगलों में लग रही आग के सम्बंध में कोर्ट को अवगत कराया था. उनका कहना था कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार इस सम्बंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जबकि हाईकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए भी गाइड लाइन जारी की थी. कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया.

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि सरकार आजतक आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें बहुत अधिक खर्च आता है और आग भी पूरी तरह से नहीं बुझ पाती है. इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जायें. कोर्ट ने विभिन्न पेपरों में आग को लेकर छपी खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया था. कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इसको बुझाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं, इस बारे में कोर्ट को अवगत कराएं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग का खुद संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में बुधवार को सरकार की तरफ से जो शपथ पत्र पेश किया गया, उससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने सरकार को फिर से डिटेल शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ में पीसीसीएफ को भी 15 सितंबर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी.

इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को अहम दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वन विभाग में खाली पड़े 65 प्रतिशत पदों को 6 महीने में भरे और ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ-साथ साल भर जंगलों की निगरानी करने को लेकर शपथपत्र पेश करे.

पढ़ें- नैनीताल हाईकोर्ट ने फेसबुक इंडिया के डायरेक्टर, केंद्र व राज्य सरकार को भेजा नोटिस, जानें क्या है मामला

कोर्ट के आदेश के क्रम में बुधवार को सरकार ने शपथपत्र पेश किया, लेकिन शपथपत्र में खाली पड़े पदों पर पदोन्नति और नई भर्तियों का कोई जिक्र नहीं था. सरकार की तरफ से कुछ भी स्पष्ट नहीं था कि कब पदोन्नति होगी. कितने पदों पर होगी, कितने पद रिक्त हैं इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की.

कोर्ट ने सरकार को 15 सितंबर तक एक डिटेल स्पष्ट शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए. साथ ही पीसीसीएफ को भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

बता दें कि मामले के अनुसार कोर्ट ने इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ से सम्बंधित मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः 2018 में संज्ञान में लिया था. जंगलों को आग से बचाने के लिए कोर्ट ने पूर्व में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे. लेकिन इस साल और अधिक आग लगने के कारण यह मामला दोबारा से उजागर हुआ.

पढ़ें- HC में रोडवेज कर्मचारी वेतन मामले में सुनवाई, परिसंपत्ति बंटवारे पर केंद्र को दिए ये निर्देश

इस साल अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ट ने प्रदेश के जंगलों में लग रही आग के सम्बंध में कोर्ट को अवगत कराया था. उनका कहना था कि अभी प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार इस सम्बंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. जबकि हाईकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए भी गाइड लाइन जारी की थी. कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया.

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि सरकार आजतक आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें बहुत अधिक खर्च आता है और आग भी पूरी तरह से नहीं बुझ पाती है. इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जायें. कोर्ट ने विभिन्न पेपरों में आग को लेकर छपी खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया था. कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इसको बुझाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं, इस बारे में कोर्ट को अवगत कराएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.