नैनीताल: हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते ने राज्य सरकार से पूछा है कि रोडवेज कर्मचारियों को 5 महीने का वेतन कब तक दिया जाएगा. साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश रोडवेज से बकाया लेने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. वहीं, कोर्ट ने रोडवेज को हो रहे घाटे की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
रोडवेज कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन न मिलने के मामले पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि रोडवेज कर्मचारियों को 5 महीने का वेतन कब तक दिया जाएगा. साथ ही राज्य सरकार को रोडवेज कर्मचारियों के साथ बैठक करने निर्देश दिए हैं. इसकते अलावा कर्मचारियों के हितों को लेकर स्कीम भी तय करने के आदेश दिए हैं.
वही, उत्तर प्रदेश रोडवेज के ऊपर बकाया मामले पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि बकाया लेने के मामले पर सरकार ने क्या कदम उठाएं है. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने रोडवेज को हुए घाटे की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कर्मचारियों को सरकार लंबे समय से वेतन नहीं दिया गया है और जब कर्मचारी प्रदर्शन करने की चेतावनी देते हैं तो सरकार उन पर एस्मा लगाने जा रही है, जो गलत है. क्योंकि सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर कर रही है.
ये भी पढ़ें: जन्मदिन पर आकाश को मिली नई जिंदगी, नसीम ने बचाई जान
सरकार परिवहन निगम के संविदा कर्मचारियों को न तो नियमित कर रही हैं और ना ही कर्मचारियों को नियमित वेतन दे रही है. रोडवेज कर्मचारियों को विभाग द्वारा ओवर टाइम तक भी नहीं दिया जाता है और रिटायर्ड कर्मचारियों के देयो का भुगतान भी सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है.
हाई कोर्ट पहुंचे कर्मचारी यूनियन का कहना था कि वेतन की मांग समेत अन्य भत्तों की मांग को लेकर सरकार के साथ उनका कई बार समझौता हो चुका है. इसके बावजूद भी सरकार उनको वेतन व अन्य भत्ते नहीं दे रही हैं. इन्हीं मांगों को लेकर अब कर्मचारी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी तो सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने की तैयारी कर रही है.
याचिका में कहा गया है कि सरकार को निगम को करीब 78 करोड़ से अधिक देने हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी उत्तराखंड परिवहन निगम को परिसंपत्तियों का 27 करोड़ का भुगतान करना हैं. याचिका में कहा गया था कि बजट के अभाव में परिवहन निगम ना तो नई बस खरीद पा रहा है और ना ही बसों में यात्रियों की सुविधाओं के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर सीसीटीवी कैमरे समेत अन्य सुविधाएं दे पा रहा है.