नैनीताल: विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से बिजली का बिल कम लेने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सचिव उत्तराखंड पावर कारपोरेशन को 1 सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश जारी किए हैं. इसके साथ ही पावर कॉरपोरेशन द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है.
कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पावर कारपोरेशन समेत राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे. इसके बाद बुधवार को पावर कारपोरेशन ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया.
बता दें कि देहरादून की आरटीआई क्लब ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों से 1 महीने का बिल मात्र 400 से 500 रुपये और कर्मचारियों से मात्र 100 रुपए लिया जा रहा है. वहीं, इन कर्मचारियों और अधिकारियों का बिल लाखों में आता है, जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है.
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वहीं, याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घरों में बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं और कुछ जगहों पर तो खराब मीटर लगे हुए हैं. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट में करीब 300 से अधिक ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट पेश की, जिनके घरों के मीटर खराब या लगे ही नहीं हैं.
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सचिव उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन निगम को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.