नैनीताल: उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में मानक से अधिक संविदा डॉक्टरों की नियुक्ति के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, एमसीआई और सर्विस सेलेक्शन मेडिकल बोर्ड को 3 सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल पूछे कि यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार छात्रों की संख्या के आधार पर 10 फीसदी से अधिक संविदा चिकित्सक की नियुक्ति कैसे की गई है. इसके साथ ही नियमानुसार चयनित संविदा और नियमित डॉक्टरों के वेतन में अंतर कैसे है.
बता दें कि डॉक्टर मोहित गोयल, डॉ. अमित शाह समेत 30 अन्य डॉक्टरों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 2015 में दून मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद नियमित चयन प्रक्रिया को मेडिकल सेलेक्शन बोर्ड द्वारा कराया गया था. इसमें उनका चयन हुआ, लेकिन बोर्ड ने उनको नियमित न करके उनको संविदा के रूप में रखा है.
ये भी पढ़ें: भीमताल में छात्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, कॉलेज प्रशासन में मचा हड़कंप
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वो कई सालों से एक ही मेडिकल कॉलेज में संविदा के पद पर कार्य कर रहे हैं. उनकी नियुक्ति मेडिकल सर्विस सेलेक्शन बोर्ड द्वारा की गई है, इसलिए उनको नियमित माना जाए. साथ ही नियमित डॉक्टरों के आधार पर ही वेतनमान दिया जाए.