नैनीताल: लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या ने प्रवासियों ने राज्यों की ओर रुख किया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने भी प्रवासियों को लाने के प्रयास तेज किये थे. आज नैनीताल हाईकोर्ट ने इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार से अन्य राज्यों में फंसे लोगों की जानकारी मांगी है. साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अन्य राज्यों में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए क्या किया जा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान देश के अन्य राज्यों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों को वापस लाने के लिए श्वेता मासीवाल शर्मा ने हाईकोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया था. जिस पर आज सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 17 जून तक प्रवासियों के मामले पर विस्तृत जवाब सम्पूर्ण जानकारियों के साथ कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
पढ़ें- निजी कंपनी ने बिना परमिशन के खोद डाली सड़क, हादसे को दे रहा दावत
कोर्ट ने कहा है कि सरकार बताये की किन-किन राज्यों में अभी लोग फंसे हैं, साथ ही उन्हें लाने के लिए क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं ये भी स्पष्ट करें.
पढ़ें- पढ़ें- सरकार के HOPE पोर्टल लॉन्च हुए एक महीना पूरा, राजधानी में 3,064 लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
बता दें कि प्रवासी सहयोगी टीम की सदस्य श्वेता मासीवाल शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में मेल के जरिये एक प्रार्थना पत्र भेजकर कहा था कि मुंबई के चौपाटी में उत्तराखंड के करीब 2600 लोग फंसे हैं. जिन्हें वापस लाने के लिये राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. जबकि उनके द्वारा 5 जून को मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को मेल भेजकर वास्तविकता की जानकारी दी गई थी, मगर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. लिहाजा उन्हें मजबूरन कोर्ट की शरण में आना पड़ा.