नैनीताल: उत्तराखंड में इंटर्न डॉक्टरों को 7,500 रुपए मानदेय दिए जाने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए अपना विस्तृत जवाब 3 सप्ताह के भीतर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इंटर्न डॉक्टरों को दिए जाने वाले मानदेय बढ़ाया जाना है या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय लेकर सरकार अपना जवाब कोर्ट में पेश करे. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इंटर्न डॉक्टरों का मानदेय 17 हजार करने की घोषणा की. लेकिन स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कोर्ट में जो शपथ पत्र पेश किया है, उसमें अभी मामले पर विचार किया जाने की बात कही गई है.
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स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के शपथ पत्र पर मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को अपना जवाब कोर्ट में पेश करने को कहा है. बता दें कि देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगराज समेत अनु पंत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
याचिका में उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में प्रैक्टिस कर रहे इंटर्न डॉक्टरों को राज्य सरकार मानदेय के तौर पर 7,500 रुपए दे रही है. जबकि छत्तीसगढ़ और हिमाचल समेत अन्य राज्यों में इंटर्न डॉक्टरों को मानदेय की राशि 17000 से लेकर 25000 तक रुपए दी जाती है. लिहाजा अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड के जूनियर व प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को मानदेय दिया जाए.