नैनीतालः रामनगर के उदयपुरी बंदोबस्त में रामनगर नेचुरल स्क्रीनिंग प्लांट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि वो इस प्लांट का स्थलीय निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट जून महीने तक कोर्ट में पेश करें. वहीं, कोई ने तब तक प्लांट पर लगी रोक जारी रखने के निर्देश दिए.
गौर हो कि इससे पहले हाईकोर्ट ने पूछा था कि रामनगर नेचुरल स्क्रीनिंग प्लांट लगाने की अनुमति कब मिली? अगर साल 2016 से पहले मिली है तो तभी इसके संचालन की अनुमति दी जा सकती है. उसके बाद की अनुमति पर नहीं. ऐसे में अनुमति पत्र कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज तक यह पत्र कोर्ट में पेश नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए कि वो इसका स्थलीय निरीक्षण करें. तब तक स्क्रीनिंग प्लांट पर लगी रोक जारी रहेगी.
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बता दें कि रामनगर के अजीत सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से रामनगर के उदयपुरी बंदोबस्त में स्क्रीनिंग प्लांट लगाने की अनुमति प्रदान की गई है. जबकि, यह आबादी वाला क्षेत्र है. यह प्लांट औद्योगिक विकास बोर्ड के किसी भी मानकों को पूरा नहीं करता है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज्य सरकार ने नियमों के विरुद्ध जाकर नेचुरल स्क्रीनिंग प्लांट के संचालन की अनुमति दी है.
याचिकाकर्ता अजीत सिंह ने जनहित याचिका में नैनीताल हाईकोर्ट से स्थापित हो रहे स्क्रीनिंग प्लांट के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की प्रार्थना की है. ताकि, नेचुरल स्क्रीनिंग प्लांट से आस पास के पर्यावरण को बचाया जा सके. अब मामले में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से निरीक्षण की रिपोर्ट मांगी है.