नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित गौला, कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव और बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तिथि नियत की है.
नदियों द्वारा भूकटाव पर दायर याचिका पर सुनवाई: मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर की है. जनहित याचिका में कहा है कि उत्तराखंड में बरसात की वजह से आजकल नदियां उफान पर हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भूकटाव हो रहा है. इसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों में जलभराव हो रहा है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाओं के निर्माण बह गए हैं.
जनहित याचिका में लगाए गए ये आरोप: याचिका में कहा गया है कि नदियों के चैनलाइज नहीं होने के कारण उन्होंने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया है. इसकी वजह से उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ से कई पुल बह गए हैं. आबादी वाले क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलुआ को नहीं हटाया है.
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सरकार पर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का आरोप: जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया. इसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार सम्बंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करे. ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रुकावट के बह सके.
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