नैनीताल: उत्तराखंड में जगह-जगह खुले स्थानों पर लोगों का थूकना और कूड़ा फेंकने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि सरकार एंटी लैटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 को उत्तराखंड में कड़ाई से लागू करे और उसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे.
2 दिन पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड व शहरी विकास सचिव को 2 दिन के अंदर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे. आज सभी पक्षों ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया और कोर्ट को बताया कि प्रदेश में जल्दी ही एक्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और थूकने पर रोक लगाने के लिए एंटी लैटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट-2016 बनाया गया था. जिसमें 13 जिलों के सभी निकायों को इस एक्ट का पालन करने के निर्देश दिए गए थे.
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लेकिन इस एक्ट का उत्तराखंड में पालन नहीं किया जा रहा है और लोग जगह-जगह खुले में कूड़ा फेंक रहे हैं, साथ ही सार्वजनिक स्थान पर थूकते हैं. जिससे प्रदेश में गंभीर बीमारियां फैल रही हैं. सरकार द्वारा इस एक्ट का पालन न करने वालों के लिए 5 हजार रुपए जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान किया गया था. लेकिन आज तक इस एक्ट का प्रदेश में पालन नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस समय देश में कोरोना संकट है और लोग ऐसे संकट में भी जगह-जगह थूक रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा-करकट फेंक रहे हैं. लिहाजा, हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को इसे रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.