नैनीताल: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की बदहाली के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त हो गया है. आज हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायधीश सुधांशु धूलिया व न्यायाधीश रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि 4 मई तक उत्तराखंड के सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू वार्ड समेत वेंटिलेटर स्थापित कर उनका संचालन कराये. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व हरिद्वार के अस्पतालों में भी जल्द से जल्द आईसीयू वार्ड व वेंटिलेटर वार्ड की सुविधा सुचारू हो ताकि लोगों को बेहतर उपचार मिल सके.
दरअसल, अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड के डॉक्टरों के पास कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट व आधुनिक उपकरण नहीं है. जिससे डॉक्टरों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा डॉक्टरों को पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट व आधुनिक उपकरण दिए जाएं.
आज मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार के दिशा -निर्देश के अनुसार किसी भी कोरोना (COVID 19) समर्पित अस्पताल में आईसीयू वार्ड और वेंटिलेटर अत्यंत आवश्यक है. लेकिन पहाड़ी जिलों के कई अस्पतालों में न तो आईसीयू वार्ड हैं और न ही वेंटिलेटर की कोई व्यवस्था.
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मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 4 मई तक प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में आईसीयू वार्ड व वेंटिलेटर स्थापित करने के आदेश दिए हैं.
आज इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक की तरफ से कोर्ट में जवाब पेश कर बताया गया कि प्रदेश के 6 जिलों के अस्पतालों में आईसीयू वार्ड, वेंटिलेटर और थर्मल स्कैनर समेत आक्सीजन सिलेंडरों के साथ सभी जरूरी उपकरणों की आपूर्ति कर दी गई है. जल्दी इन अस्पतालों में वेंटिलेटर वार्ड को संचालित कर दिया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई अब 5 मई को होगी.