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स्टोन क्रशरों पर सख्त हुआ हाई कोर्ट, राज्य सरकार को दो दिन में देने होंगे जवाब

प्रदेश के पहाड़ी जिलों में बन रहे 55 स्टोन क्रेशरों के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को दो दिन में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी जवाब मांगा है.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Jul 29, 2019, 11:17 PM IST


नैनीताल: प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लिए बिना बनाए जा रहे 55 स्टोन क्रशरों के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो दिनों में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

दुष्यंत मेंनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

बता दें कि रामनगर निवासी सर्वजीत सिंह और आनंद सिंह नेगी ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने एक साल के भीतर उत्तरकाशी, गंगोत्री, रुद्रप्रयाग, उखीमठ समेत प्रदेश के अन्य पहाड़ी जिलों में 55 स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी है.

पढे़ं- मसूरी में दो शावकों के साथ दिखी मादा गुलदार, लोगों में डर का माहौल

साथ ही इन क्रशरों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति नहीं ली गई है, जो नियमों के खिलाफ है. वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बनाए जा रहे इन स्टोन क्रशरों में ध्वनि प्रदूषण के मानक रात में 70 डेसीबल और दिन में 75 डेसिबल खुद ही तय कर दिए गए हैं. जबकि, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रशर स्थापित करने पर दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसीबल ध्वनि तय की गई है.

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रशर खोलने की अनुमति राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी जाती है, लेकिन सरकार द्वारा बिना बोर्ड की अनुमति के ही प्रदेश में 55 क्रशर खोलने की अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

कोर्ट ने क्रशरों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि बिना बोर्ड की अनुमति के सरकार द्वारा प्रदेश में 55 स्टोन क्रशर कैसे बनाए जा रहे हैं.


नैनीताल: प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लिए बिना बनाए जा रहे 55 स्टोन क्रशरों के मामले पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो दिनों में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

दुष्यंत मेंनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता

बता दें कि रामनगर निवासी सर्वजीत सिंह और आनंद सिंह नेगी ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने एक साल के भीतर उत्तरकाशी, गंगोत्री, रुद्रप्रयाग, उखीमठ समेत प्रदेश के अन्य पहाड़ी जिलों में 55 स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी है.

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साथ ही इन क्रशरों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति नहीं ली गई है, जो नियमों के खिलाफ है. वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बनाए जा रहे इन स्टोन क्रशरों में ध्वनि प्रदूषण के मानक रात में 70 डेसीबल और दिन में 75 डेसिबल खुद ही तय कर दिए गए हैं. जबकि, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रशर स्थापित करने पर दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसीबल ध्वनि तय की गई है.

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रशर खोलने की अनुमति राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी जाती है, लेकिन सरकार द्वारा बिना बोर्ड की अनुमति के ही प्रदेश में 55 क्रशर खोलने की अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

कोर्ट ने क्रशरों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि बिना बोर्ड की अनुमति के सरकार द्वारा प्रदेश में 55 स्टोन क्रशर कैसे बनाए जा रहे हैं.

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प्रदेश के पहाड़ी जिलों समेत उत्तराखंड में बन रहे 55 स्टोन क्रेशरों के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

Intro

प्रदेश में बगैर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुमति के द्वारा बनाए जा रहे 55 स्टोन क्रेसरो का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है,,, मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 2 दिन में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं, वहीं कोर्ट ने बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बन रहे इन क्रेशर ऊपर सख्त रुख अपनाते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा है कि बिना बोर्ड की अनुमति के सरकार द्वारा प्रदेश में 55 स्टोन केसर कैसे बनाए जा रहे हैं।


Body:आपको बता दें कि रामनगर निवासी सर्वजीत सिंह और आनंद सिंह नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 1 साल के भीतर उत्तरकाशी, गंगोत्री, रुद्रप्रयाग, उखीमठ समेत प्रदेश के अन्य पहाड़ी जिलों समेत प्रदेश भर में 55 स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति दी है साथ ही इन क्रशरों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति नहीं ली है जो नियम विरुद्ध है, वही याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा बनाए जा रहे इन स्टोन क्रेशरो में ध्वनि प्रदूषण के मानक रात में 70 डेसीबल और दिन में 75 डेसिबल खुद ही तय कर दिए गए हैं,, जो गलत है क्योंकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रेशर स्थापित करने पर दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसीबल ध्वनि तय की है लेकिन सरकार इन स्टोन के समय खुद के नियम बना रही है लिहाजा इन सभी स्टोन क्रेशरो को बंद किया जाए,,



Conclusion:साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टोन क्रेशर खोलने की अनुमति राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा दी जाती है लेकिन सरकार द्वारा बिना बोर्ड की अनुमति के ही प्रदेश में 55 क्रेशर खोलने की अनुमति दे दी गई है जो गलत है,, मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


बाइट- दुष्यंत मेंनाली अधिवक्ता याचिकाकर्ता
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