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अवैध कब्जे और निर्माण पर HC सख्त, देहरादून SSP सहित MDDA पर एक लाख का जुर्माना

नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून के एसएसपी, एसएचओ समेत एमडीडीए पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है.

Nainital High Court imposes fine of 1 lakh
Nainital High Court imposes fine of 1 lakh
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Published : Mar 15, 2021, 10:28 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 1:00 PM IST

नैनीतालः देहरादून में महिला की संपत्ति पर कब्जा कर अवैध निर्माण करने पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए देहरादून के एसएसपी, एसएचओ समेत एमडीडीए पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने तीनों पक्षकारों को आदेश दिए हैं कि 2 सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को दें, अन्यथा सभी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसएसपी, एसएचओ और एमडीडीए को आदेश दिए हैं कि वह जुर्माने की राशि अपने वेतन से देंगे.

बता दें कि देहरादून निवासी सविता गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पलटन बाजार में उनकी दुकान है और कुछ समय पहले उनके द्वारा दुकान गौरव गुप्ता समेत अन्य को बेच दी गई थी. मगर दुकान की छत नहीं बेची. जिन लोगों को उनके द्वारा दुकान बेची गई, उनके द्वारा दुकान की छत पर अवैध रूप से कब्जा कर बिना अनुमति के निर्माण कर दिया गया है.

इसकी शिकायत महिला के द्वारा 2019 में एमडीडीए, एसएसपी देहरादून समेत एसएचओ से की थी. लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली और हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सिविल वाद दायर करने के आदेश दिए और सविता की याचिका को खारिज कर दिया था.

जिसके बाद याचिकाकर्ता ने एकल पीठ के आदेश पर स्पेशल अपील दायर कर पुनः हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर सुनवाई करते हुए सोमवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसएसपी देहरादून, एसएचओ समेत एमडीडीए को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के मामले पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही सभी को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

ये भी पढ़ेंः हाईकोर्ट से CTET अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत, पढ़िए पूरी खबर

वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान एमडीडीए देहरादून की तरफ से अपना जवाब कोर्ट में पेश किया गया और कहा कि 28 दिसंबर 2020 व 15 जनवरी 2021 को अतिक्रमणकारियों को सिलिंग का नोटिस दिया गया है और अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस से फोर्स की मांग की गई, लेकिन फोर्स की उपलब्धता नहीं हुई. जिस वजह से अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई.

वहीं, मामले पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर उन्हें फोर्स की उपलब्धता नहीं हुई, तो एमडीडीए के द्वारा डीजीपी को पत्र क्यों नहीं लिखा गया. अगर इस दौरान कोई घटना घट जाती, तो उसका जिम्मेदार कौन होता?

नैनीतालः देहरादून में महिला की संपत्ति पर कब्जा कर अवैध निर्माण करने पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए देहरादून के एसएसपी, एसएचओ समेत एमडीडीए पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने तीनों पक्षकारों को आदेश दिए हैं कि 2 सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को दें, अन्यथा सभी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसएसपी, एसएचओ और एमडीडीए को आदेश दिए हैं कि वह जुर्माने की राशि अपने वेतन से देंगे.

बता दें कि देहरादून निवासी सविता गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पलटन बाजार में उनकी दुकान है और कुछ समय पहले उनके द्वारा दुकान गौरव गुप्ता समेत अन्य को बेच दी गई थी. मगर दुकान की छत नहीं बेची. जिन लोगों को उनके द्वारा दुकान बेची गई, उनके द्वारा दुकान की छत पर अवैध रूप से कब्जा कर बिना अनुमति के निर्माण कर दिया गया है.

इसकी शिकायत महिला के द्वारा 2019 में एमडीडीए, एसएसपी देहरादून समेत एसएचओ से की थी. लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली और हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सिविल वाद दायर करने के आदेश दिए और सविता की याचिका को खारिज कर दिया था.

जिसके बाद याचिकाकर्ता ने एकल पीठ के आदेश पर स्पेशल अपील दायर कर पुनः हाईकोर्ट में चुनौती दी. जिस पर सुनवाई करते हुए सोमवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसएसपी देहरादून, एसएचओ समेत एमडीडीए को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के मामले पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही सभी को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

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वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान एमडीडीए देहरादून की तरफ से अपना जवाब कोर्ट में पेश किया गया और कहा कि 28 दिसंबर 2020 व 15 जनवरी 2021 को अतिक्रमणकारियों को सिलिंग का नोटिस दिया गया है और अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस से फोर्स की मांग की गई, लेकिन फोर्स की उपलब्धता नहीं हुई. जिस वजह से अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई.

वहीं, मामले पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर उन्हें फोर्स की उपलब्धता नहीं हुई, तो एमडीडीए के द्वारा डीजीपी को पत्र क्यों नहीं लिखा गया. अगर इस दौरान कोई घटना घट जाती, तो उसका जिम्मेदार कौन होता?

Last Updated : Mar 16, 2021, 1:00 PM IST
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