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प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई, HC ने दिये ये आदेश

अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने हाईकोर्ट में प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप प्रतिबंध लगाने व उसका निस्तारण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी. ऐसे में इस मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने कुमाऊं और गढ़वाल कमिश्नर को कई आदेश दिये हैं.

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Published : Oct 19, 2022, 6:06 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने व उसका निस्तारण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जिलाधिकारियों द्वारा कोर्ट में दिए गए शपथ पत्रों से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड के शहरों को स्वच्छता में निम्नतम रैंक मिला है, जो सोचनीय विषय है. साथ ही अधिकारियों द्वारा इसके निस्तारण के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नही उठाए जा रहे हैं और सारे कार्य कागजी तौर पर किये जा रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी, परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे. जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे. अगर वह नहीं ले जाते हैं तो सम्बंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें. लेकिन उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है. साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है.

पढ़ें- UKSSSC Paper Leak: HC से कांग्रेस MLA भुवन कापड़ी की याचिका निरस्त

वहीं, इस मामले को सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण को लेकर निर्देश दिए कि हाईकोर्ट इस मामले पर एक ई-मेल आईडी जनरेट करेगा. जिसमें प्रदेश के नागरिक सॉलिड वेस्ट व कचरे की शिकायत दर्ज कर सकेंगे. ये शिकायतें कुमाऊं कमिश्नर व गढ़वाल कमिश्नर दोनों को भेजी जाएंगी. दोनों डिवीजन के कमिश्नर अपने अपने क्षेत्र की शिकायतों का निस्तारण 48 घंटे के भीतर कर उसकी रिपोर्ट उच्च न्यायलय को देंगे.

वहीं, कुमाऊं व गढ़वाल कमिश्नर सम्बंधित जिलों के जिला अधिकारियों के साथ हर गांव का दौरा करेंगे और पता करेंगे कि वहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की क्या व्यवस्था है. साथ ही कूड़े का कैसे निस्तारण किया जा सकता है. इस साथ ही शहरों में पड़े लीगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए कोर्ट ने सम्बंधित निकायों को अंतिम अवसर दिया है. उसके बाद कोर्ट सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक से निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने व उसका निस्तारण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जिलाधिकारियों द्वारा कोर्ट में दिए गए शपथ पत्रों से नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड के शहरों को स्वच्छता में निम्नतम रैंक मिला है, जो सोचनीय विषय है. साथ ही अधिकारियों द्वारा इसके निस्तारण के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नही उठाए जा रहे हैं और सारे कार्य कागजी तौर पर किये जा रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी, परन्तु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे. जिसमें उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे. अगर वह नहीं ले जाते हैं तो सम्बंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें. लेकिन उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है. साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है.

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वहीं, इस मामले को सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण को लेकर निर्देश दिए कि हाईकोर्ट इस मामले पर एक ई-मेल आईडी जनरेट करेगा. जिसमें प्रदेश के नागरिक सॉलिड वेस्ट व कचरे की शिकायत दर्ज कर सकेंगे. ये शिकायतें कुमाऊं कमिश्नर व गढ़वाल कमिश्नर दोनों को भेजी जाएंगी. दोनों डिवीजन के कमिश्नर अपने अपने क्षेत्र की शिकायतों का निस्तारण 48 घंटे के भीतर कर उसकी रिपोर्ट उच्च न्यायलय को देंगे.

वहीं, कुमाऊं व गढ़वाल कमिश्नर सम्बंधित जिलों के जिला अधिकारियों के साथ हर गांव का दौरा करेंगे और पता करेंगे कि वहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की क्या व्यवस्था है. साथ ही कूड़े का कैसे निस्तारण किया जा सकता है. इस साथ ही शहरों में पड़े लीगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए कोर्ट ने सम्बंधित निकायों को अंतिम अवसर दिया है. उसके बाद कोर्ट सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

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