नैनीताल: टिहरी बांध को लेकर जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आज सुनवाई की. हाई कोर्ट में टिहरी बांध से होने वाली आय को उत्तराखंड के विकास, रोजगार और विस्थापितों पर ऊपर खर्च किये जाने को लेकर सुनवाई हुई. जिसके बाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की सरकारों समेत टीएचडीसी को चार हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं.
बता दें कि आज टिहरी बांध को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई. इस मामले के टिहरी बांध विस्थापित देहरादून निवासी अभिनव थापर ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि टिहरी बांध उत्तराखंड के टिहरी क्षेत्र व उसके आसपास में फैला हुआ है. इस बांध की सीमा किसी अन्य राज्य से नहीं जुड़ी हुई. फिर भी बांध से होने वाली आय का 12 प्रतिशत उत्तराखण्ड सरकार को दिया जाता है बाकि 88 प्रतिशत आय केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को दी जाती है. जबकि, उत्तराखण्ड में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और रोजगार के साधन सीमित हो हो रहे है.
याचिका में आगे कहा गया है कि अगर सरकार बांध से होने वाली 100 प्रतिशत आय को उत्तराखण्ड के विकास, रोजगार व विस्थापितों के ऊपर खर्च करेगी तो लोगों को रोजगार मिलेगा. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि सरकार ने अभी तक विस्थापितों को मुआवजा तक नहीं दिया है और न ही उनको ढंग से विस्थापित किया है.बांध बनने से इन क्षेत्रों का पर्यावरण में बदलाव आया है. जिसके कारण दैवीय आपदा की मार झेलनी पड़ रही है.
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याचिककर्ता का यह भी कहना है कि बांध की कुल लागत 9900 करोड़ थी जबकि टीएचडीसी ने इससे 26000 हजार करोड़ की आय अर्जित की है. अगर यह आय उत्तराखण्ड के विकास व रोजगार के ऊपर खर्च की जाती तो बेरोजगारों को भटकना नहीं पड़ता. साथ ही याचिककर्ता ने यह सवाल उठाया है कि जब बांध का निर्माण उत्तराखण्ड में ही हुआ है तो इससे होने वाली आय को केंद्र और दूसरे राज्य को क्यों बांटा जा रहा है?