नैनीताल: उत्तराखंड हाइकोर्ट ने कुंभ कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा मामले में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत और मलिका की जमानत याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने किन्हीं कारणों से मामले की सुनवाई से इनकार करते हुए यह मामला दूसरी कोर्ट को भेज दिया है. अब इस मामले की सुनवाई दूसरी कोर्ट करेगी. साथ ही इस मामले में कोर्ट ने सरकार से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
मामले में शरद पंत व मलिका पंत ने जमानत प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे?
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हरिद्वार मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान खुद को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए. 2021 को एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी. जिसमें कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों द्वारा उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया था. जबकि उसने रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व सैंपल नहीं दिया था. पूर्व में कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.
21 फरवरी से हाईकोर्ट सामान्य रूप से चलेगी: इसके साथ ही हाईकोर्ट नैनीताल में अब फिजिकल सुनवाई भी होगी. देशभर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है, जिसको लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने नई कोविड गाइडलाइन जारी की है. जिसके अनुसार उत्तराखंड हाईकोर्ट में 21 फरवरी से सामान्य दिनों की तरह यानि भौतिक रूप से सुनवाई होगी. शुक्रवार को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से इस सम्बंध में अधिसूचना जारी हुई है. अधिसूचना में कहा गया है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश के आदेश पर सोमवार से हाईकोर्ट में सामान्य दिनों की भांति सभी मामलों की सुनवाई होगी, लेकिन कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का विकल्प भी रखा है. साथ ही कोर्ट परिसर में न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं व वादकारियों को कोविड गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा.