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उत्तराखंड के मदरसा शिक्षकों की याचिका निस्तारित, HC ने सरकार को दिए मानदेय भुगतान के आदेश

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Published : Jan 22, 2022, 5:30 PM IST

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के मदरसा शिक्षकों की याचिका निस्तारित कर दी है. कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को 600 से ज्यादा मदरसा शिक्षकों के मानदेय को 6 हफ्ते के भीतर भुगतान करने के निर्देश दिए हैं.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट

नैनीतालः उत्तराखंड के मदरसों में तैनात शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को मदरसों में निश्चित मानदेय पर कार्यरत 600 से ज्यादा शिक्षकों के मानदेय का भुगतान करने को कहा है. इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया है.

दरअसल, उत्तराखंड के मदरसों में कार्यरत 616 शिक्षकों ने नैनीताल हाईकोर्ट में 18 अलग-अलग याचिकाऐं दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने मदरसों में शिक्षा के सुधार के लिए योजना चलाई है. इन मदरसों में प्रशिक्षित शिक्षक निश्चित मानदेय पर रखे गए हैं, लेकिन इन शिक्षकों के मानदेय व अन्य देयकों का भुगतान नहीं हुआ है.

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इस मामले में राज्य सरकार के अनुरोध पर विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव भारत सरकार की अध्यक्षता में 25 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई. जिसमें उत्तराखंड के मदरसा शिक्षकों के वेतन व अन्य खर्चों का भुगतान करने हेतु बजट स्वीकृत किया गया, लेकिन इस प्रस्ताव के बाद भी मदरसा शिक्षकों के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ. जिसकी उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

वहीं, मामले की अंतिम सुनवाई 22 दिसंबर 2021 को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई. कोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद राज्य और केंद्र सरकार से 25 अक्टूबर 2019 की बैठक में पारित निर्णय के आधार पर 6 हफ्ते के भीतर मदरसा शिक्षकों के मानदेय व अन्य खर्चों का भुगतान करने को कहा है. अब हाईकोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद सभी याचिकाएं निस्तारित कर दी है.

नैनीतालः उत्तराखंड के मदरसों में तैनात शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को मदरसों में निश्चित मानदेय पर कार्यरत 600 से ज्यादा शिक्षकों के मानदेय का भुगतान करने को कहा है. इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया है.

दरअसल, उत्तराखंड के मदरसों में कार्यरत 616 शिक्षकों ने नैनीताल हाईकोर्ट में 18 अलग-अलग याचिकाऐं दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने मदरसों में शिक्षा के सुधार के लिए योजना चलाई है. इन मदरसों में प्रशिक्षित शिक्षक निश्चित मानदेय पर रखे गए हैं, लेकिन इन शिक्षकों के मानदेय व अन्य देयकों का भुगतान नहीं हुआ है.

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इस मामले में राज्य सरकार के अनुरोध पर विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव भारत सरकार की अध्यक्षता में 25 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई. जिसमें उत्तराखंड के मदरसा शिक्षकों के वेतन व अन्य खर्चों का भुगतान करने हेतु बजट स्वीकृत किया गया, लेकिन इस प्रस्ताव के बाद भी मदरसा शिक्षकों के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ. जिसकी उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

वहीं, मामले की अंतिम सुनवाई 22 दिसंबर 2021 को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई. कोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद राज्य और केंद्र सरकार से 25 अक्टूबर 2019 की बैठक में पारित निर्णय के आधार पर 6 हफ्ते के भीतर मदरसा शिक्षकों के मानदेय व अन्य खर्चों का भुगतान करने को कहा है. अब हाईकोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद सभी याचिकाएं निस्तारित कर दी है.

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