नैनीतालः उत्तराखंड में हेड कॉन्स्टेबलों के वेतन निर्धारण के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. यह मामला राज्य सरकार की ओर से कॉन्स्टेबलों का वेतन निर्धारण कर फिर कटौती करने से जुड़ा है. आज कोर्ट ने वेतन कटौती को चुनौती देती सरकार की कई विशेष अपीलों पर सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार की ओर से विशेष अपील देर में दायर करने के आधार पर खारिज कर दी है.
दरअसल, साल 2018 में हेड कॉन्स्टेबल जगत राम भट्ट समेत अन्य लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी नियुक्ति हेड कॉन्स्टेबल के पद पर हुई थी. जिसके बाद उन्हें पदोन्नति न देकर उन्हें प्रमोशन पे स्केल दिया गया. जबकि, छठा वेतनमान लागू होने तक उन्हें सब इंस्पेक्टर का वेतनमान दिया गया.
छठे वेतनमान में आई विसंगतियों को दूर करने के लिए सरकार ने साल 2008 में शासनादेश जारी कर उनसे विकल्प मांगा कि वे उच्च वेतनमान लेना चाहते हैं या शासनादेश के अनुसार वेतन लेना चाहते हैं. जिसमें उनकी ओर से निर्धारित तय समय के भीतर विकल्प दिया गया. बाद में सरकार की ओर से उन्हें बढ़ा हुआ वेतनमान दिया गया.
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वहीं, राज्य सरकार ने बिना कारण बताए और बिना विकल्प दिए उनके वेतनमान में कटौती कर उनसे रिकवरी के आदेश जारी कर दिए. जिसको उन्होंने एकलपीठ में चुनौती दी. एकलपीठ ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए उनसे रिकवरी न करने के आदेश दिए.
एकलपीठ के इस आदेश को राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ में चुनौती दी गई. जिस पर आज खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार की अपीलों को खारिज दी. कोर्ट ने माना कि ये अपीलें निर्धारित तय समय के भीतर दायर नहीं की गई है. सर्विस के मामलों में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ में कोर्ट एक्ट के मुताबिक, विशेष अपील दायर करने का समय 30 दिन का होता है.