ETV Bharat / state

खनन मामले पर राज्य सरकार को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने पूर्व के इस आदेश को किया संशोधित

Mining Lease Case in Uttarakhand नैनीताल, देहरादून, अल्मोड़ा और उधम सिंह नगर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लिए बिना ही खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित कर दिया है. अब वैध पट्टाधारकों को 2 साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति लेनी होगी.

Nainital High Court
नैनीताल उच्च न्यायालय
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 7, 2023, 10:51 PM IST

नैनीतालः राज्य सरकार को खनन के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित कर दिया है. अब सरकार की ओर से खनन पट्टा देने के बाद वैध पट्टाधारकों को 2 साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति लेनी आवश्यक होगी, तब जाकर खनन कर सकेंगे. अभी तक इस प्रकिया पर रोक लगाई गई थी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नैनीताल, देहरादून, अल्मोड़ा और उधम सिंह नगर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लिए बिना ही खनन के पट्टे आवंटित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है.

मामले में हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार से स्वीकृत खनन पट्टे मिलने के बाद वैध पट्टाधारकों को दो साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति लेनी आवश्यक होगी. अगर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति नहीं ली जाती है तो उनके पट्टों का लाइसेंस स्वतः ही निरस्त माना जाएगा.
ये भी पढ़ेंः कुमाऊं की नदियों में एक महीने बाद भी खनन नहीं हुआ शुरू, 400 करोड़ के राजस्व वाले काम में यहां फंसा पेंच

इतना ही नहीं अगर इसके बाद भी बिना अनुमति के खनन होता है तो खनन निदेशक और सचिव खनन जिम्मेदार होंगे. बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. इस आदेश को संशोधन करने के लिए आज राज्य सरकार की तरफ से संशोधन प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया गया. जिसमें सरकार को राहत मिली है. क्योंकि, अब खनन पट्टा देने के बाद केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड से अनुमति लेने की जिम्मेदारी पट्टा धारकों की होगी.

गौर हो कि नैनीताल निवासी तरुण शर्मा ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून और उधम सिंह नगर जिले में खनन टेंडर निकालने से पहले राज्य पर्यावरण बोर्ड की अनुमति नहीं ली. जो कि खनन नियमों का उल्लंघन है. जबकि, नियमावली के अनुसार खनन पट्टे आवंटित होने के बाद दो साल के भीतर अनुमति लेनी आवश्यक है. अनुमति न लेने पर नदियों के अवैध रूप से खनन किया जा रहा है. जिस पर रोक लगाई जाए.

नैनीतालः राज्य सरकार को खनन के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधित कर दिया है. अब सरकार की ओर से खनन पट्टा देने के बाद वैध पट्टाधारकों को 2 साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति लेनी आवश्यक होगी, तब जाकर खनन कर सकेंगे. अभी तक इस प्रकिया पर रोक लगाई गई थी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नैनीताल, देहरादून, अल्मोड़ा और उधम सिंह नगर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लिए बिना ही खनन के पट्टे आवंटित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है.

मामले में हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार से स्वीकृत खनन पट्टे मिलने के बाद वैध पट्टाधारकों को दो साल के भीतर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति लेनी आवश्यक होगी. अगर केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड की अनुमति नहीं ली जाती है तो उनके पट्टों का लाइसेंस स्वतः ही निरस्त माना जाएगा.
ये भी पढ़ेंः कुमाऊं की नदियों में एक महीने बाद भी खनन नहीं हुआ शुरू, 400 करोड़ के राजस्व वाले काम में यहां फंसा पेंच

इतना ही नहीं अगर इसके बाद भी बिना अनुमति के खनन होता है तो खनन निदेशक और सचिव खनन जिम्मेदार होंगे. बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. इस आदेश को संशोधन करने के लिए आज राज्य सरकार की तरफ से संशोधन प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया गया. जिसमें सरकार को राहत मिली है. क्योंकि, अब खनन पट्टा देने के बाद केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड से अनुमति लेने की जिम्मेदारी पट्टा धारकों की होगी.

गौर हो कि नैनीताल निवासी तरुण शर्मा ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून और उधम सिंह नगर जिले में खनन टेंडर निकालने से पहले राज्य पर्यावरण बोर्ड की अनुमति नहीं ली. जो कि खनन नियमों का उल्लंघन है. जबकि, नियमावली के अनुसार खनन पट्टे आवंटित होने के बाद दो साल के भीतर अनुमति लेनी आवश्यक है. अनुमति न लेने पर नदियों के अवैध रूप से खनन किया जा रहा है. जिस पर रोक लगाई जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.