नैनीतालः बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से महालक्ष्मी मंदिर का अधिकार डिमरी पंचायत को किराए पर देने के मामले में दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, सचिव संस्कृति से 2 हफ्ते के भीतर शपथ पत्र पेश करने को कहा है. शपथ पत्र पेश न करने पर कोर्ट ने दोनों सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है. अब मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.
आज सुनवाई के दौरान अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि एक्ट के अनुसार बदरी केदार मंदिर कमेटी ने संपत्ति के हस्तांतरण से पहले राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं ली. जबकि, बदरी केदार मंदिर कमेटी ने बिना अनुमति के ही मंदिर को किराए पर दे दिया. पांच साल बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार ने 2018 से अभी तक कोर्ट में अपना शपथ पत्र तक पेश नहीं किया. जिस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.
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दरअसल, हरिद्वार निवासी राकेश कौशिक ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि बदरी केदार मंदिर समिति ने बिना राज्य सरकार की अनुमति लिए बदरीनाथ में स्थित महालक्ष्मी मंदिर को डिमरी पंचायत को ₹35000 सालाना किराए में देने के साथ चरणामृत बेचने की अनुमति भी दे दी, जो पूरी तरह से गलत है.
याचिकाकर्ता कहना था कि बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर की संपत्ति को ऐसे किराए पर नहीं दिया जा सकता. नियमावली के अनुसार मंदिर की एक हजार से ज्यादा की वस्तु या संपत्ति को देने से पहले सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक है. जो मंदिर समिति ने नहीं किया. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. वहीं, इस मामले में अगर शपथ पत्र कोर्ट को नहीं मिला तो मुख्य सचिव और संस्कृति सचिव को कोर्ट में पेश होना होगा.