नैनीतालः देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन प्लान के हो रहे अवैध निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 4 हफ्ते के भीतर में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा बिना मास्टर प्लान और पर्यटन प्लान के कोई भी व्यावसायिक गतिविधियां न की जाएं.
नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछे ये सवालः नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा है कि क्या राज्य सरकार ने कोई लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान दिया या नहीं? अब मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी. आज सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर दून वैली की दशा खराब करने के साथ सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है.
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दरअसल, दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का साल 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक ना तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई प्लान तैयार किया है, ना ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है.
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वहीं, जनहित याचिका में कहा गया है कि दून वैली कंक्रीट में तब्दील हो रही है. जिसका प्रभाव नदियों, जलस्रोतों और जंगलों पर प्रभाव पड़ रहा है. याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही दून वैली में विकास कार्य किए जाने की प्रार्थना की है.
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