नैनीतालः सुमाड़ी में एनआईटी के स्थाई कैंपस निर्माण मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को अंतिम बार अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट मामले को स्वतः संज्ञान लेते हुए फैसला सुनाएगा.
बता दें कि कॉलेज के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि एनआईटी को 9 साल हो गए हैं, लेकिन 9 सालों के बाद भी एनआईटी को स्थाई कैंपस नहीं मिला है. जिसे लेकर छात्र लंबे समय से स्थाई कैंपस की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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साथ ही कहा कि वर्तमान में संचालित एनआईटी की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर स्थिति में है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. याचिकाकर्ता का कहना है कि श्रीनगर में हुए हादसे में एक छात्रा की मौत हो गई थी. जबकि, एक छात्रा गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसका इलाज अभी भी चल रहा है.
लिहाजा, राज्य सरकार और एनआईटी मिलकर घायल छात्रा का इलाज कराएं. वहीं, इससे पहले केंद्र और राज्य सरकार की ओर से एनआईटी को उत्तराखंड से जयपुर शिफ्ट करने पर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई थी.
इसी कड़ी में बुधवार को मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को अपना विस्तृत और अंतिम जवाब पेश करने को कहा. साथ ही केंद्र सरकार से पूछा है कि कब तक श्रीनगर के सुमाड़ी में एनआईटी का स्थाई कैंपस बनेगा? वहीं, कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से अपना जवाब पेश नहीं किया गया तो कोर्ट अगली तिथि पर मामले को स्वतः संज्ञान लेते हुए अपना फैसला सुनाएगा.