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उत्तराखंड में ही बनेगा NIT का स्थाई कैंपस, HC ने पूछा- 4 महीने में तय करें, कहां बनाना है कैंपस - घायल छात्रा नीलम मीणा

नैनीताल हाई कोर्ट ने कहा कि एनआईटी के स्थाई कैंपस को उत्तराखंड में ही बनाया जाएगा. जिस पर राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर फैसला करना है कि उत्तराखंड में एनआईटी का अस्थाई कैंपस आखिर कहां बनेगा? वहीं, कोर्ट ने 25 लाख की जुर्माने की राशि को घायल छात्रा नीलम मीणा को देने के आदेश दिए हैं.

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Published : Jul 27, 2020, 6:48 PM IST

नैनीतालः पौड़ी के सुमाड़ी में एनआईटी के स्थाई कैंपस निर्माण पर संशय बरकरार है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए 4 महीने के भीतर एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण को लेकर फैसला तय करें. साथ ही सरकार को निर्देश दिए हैं कि हाई कोर्ट के निर्देशों के आधार पर ही एनआईटी कैंपस का निर्माण करें. वहीं, कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार व एनआईटी कॉलेज पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही जुर्माने की राशि घायल छात्रा को देने को कहा है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता अभिजय नेगी.

होई कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार की सुविधा के लिए किसी भी कैंपस का निर्माण नहीं किया जा सकता है. कैंपस का निर्माण छात्रों की सुविधा के अनुरूप किया जाना चाहिए. उत्तराखंड में एनआईटी कैंपस का निर्माण छात्रों के विकास के लिए नहीं, बल्कि सरकार की विकास के लिए हो रहा है. साथ ही कहा है कि 2021 तक अस्थाई कैंपस में सभी तरह की सुविधाएं दी जाएं. इतना ही नहीं सुमाड़ी कैंपस निर्माण के लिए जारी राशि को निरस्त कर दिया है.

बता दें कि कॉलेज के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने कहा था कि कॉलेज को बने हुए 9 साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन आज तक एनआईटी कोई स्थाई कैंपस नहीं मिल पाया है. जिसे लेकर छात्रों ने प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. छात्र अपनी जान हथेली पर लेकर जर्जर बिल्डिंग में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, जहां पर कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है.

ये भी पढ़ेंः रिटायरमेंट से पहले ETV BHARAT से बोले मुख्य सचिव, उत्तराखंड का हर प्रोजेक्ट उनके दिल के करीब

याचिकाकर्ता का कहना है कि स्थाई कैंपस की मांग कर रहे छात्रों में से एक छात्रा की सड़क हादसे में मौत हो गई. जबकि, एक गंभीर रूप से घायल हो गई थी. जिसका हायर सेंटर में इलाज किया गया, लेकिन वो अब पूरी तरह से पैरालाइज हो चुकी है. लिहाजा, राज्य सरकार और एनआईटी मिलकर इस छात्रा का इलाज कराएं.

वहीं, मामला हाईकोर्ट की शरण में आने के बाद सरकार ने एनआईटी को श्रीनगर से जयपुर शिफ्ट करने का फैसला किया. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से एनआईटी को उत्तराखंड से जयपुर शिफ्ट करने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी भी व्यक्त की. जिसके बाद राज्य सरकार ने कदम पीछे खींचते हुए कोर्ट को बताया था कि अब एनआईटी को श्रीनगर के सुमाड़ी में ही बनाया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः चमोली: बदरी धाम सहित तीन प्रयागों की जल-मिट्टी लेकर रवाना हुए विहिप कार्यकर्ता

आज मामले में आए फैसले के बाद तय हो गया है कि एनआईटी के स्थाई कैंपस को उत्तराखंड में ही बनाया जाएगा. जिस पर राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर फैसला करना है कि उत्तराखंड में एनआईटी का अस्थाई कैंपस आखिर कहां बनेगा? वहीं, कोर्ट ने जुर्माने की राशि घायल छात्रा नीलम मीणा को देने के आदेश दिए हैं और कहा है कि मेडिकल बिल भी माफ किया जाए.

नैनीतालः पौड़ी के सुमाड़ी में एनआईटी के स्थाई कैंपस निर्माण पर संशय बरकरार है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए 4 महीने के भीतर एनआईटी के स्थाई कैंपस के निर्माण को लेकर फैसला तय करें. साथ ही सरकार को निर्देश दिए हैं कि हाई कोर्ट के निर्देशों के आधार पर ही एनआईटी कैंपस का निर्माण करें. वहीं, कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार व एनआईटी कॉलेज पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. साथ ही जुर्माने की राशि घायल छात्रा को देने को कहा है.

जानकारी देते अधिवक्ता याचिकाकर्ता अभिजय नेगी.

होई कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार की सुविधा के लिए किसी भी कैंपस का निर्माण नहीं किया जा सकता है. कैंपस का निर्माण छात्रों की सुविधा के अनुरूप किया जाना चाहिए. उत्तराखंड में एनआईटी कैंपस का निर्माण छात्रों के विकास के लिए नहीं, बल्कि सरकार की विकास के लिए हो रहा है. साथ ही कहा है कि 2021 तक अस्थाई कैंपस में सभी तरह की सुविधाएं दी जाएं. इतना ही नहीं सुमाड़ी कैंपस निर्माण के लिए जारी राशि को निरस्त कर दिया है.

बता दें कि कॉलेज के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने कहा था कि कॉलेज को बने हुए 9 साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन आज तक एनआईटी कोई स्थाई कैंपस नहीं मिल पाया है. जिसे लेकर छात्रों ने प्रदर्शन भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. छात्र अपनी जान हथेली पर लेकर जर्जर बिल्डिंग में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, जहां पर कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है.

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याचिकाकर्ता का कहना है कि स्थाई कैंपस की मांग कर रहे छात्रों में से एक छात्रा की सड़क हादसे में मौत हो गई. जबकि, एक गंभीर रूप से घायल हो गई थी. जिसका हायर सेंटर में इलाज किया गया, लेकिन वो अब पूरी तरह से पैरालाइज हो चुकी है. लिहाजा, राज्य सरकार और एनआईटी मिलकर इस छात्रा का इलाज कराएं.

वहीं, मामला हाईकोर्ट की शरण में आने के बाद सरकार ने एनआईटी को श्रीनगर से जयपुर शिफ्ट करने का फैसला किया. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से एनआईटी को उत्तराखंड से जयपुर शिफ्ट करने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी भी व्यक्त की. जिसके बाद राज्य सरकार ने कदम पीछे खींचते हुए कोर्ट को बताया था कि अब एनआईटी को श्रीनगर के सुमाड़ी में ही बनाया जाएगा.

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आज मामले में आए फैसले के बाद तय हो गया है कि एनआईटी के स्थाई कैंपस को उत्तराखंड में ही बनाया जाएगा. जिस पर राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर फैसला करना है कि उत्तराखंड में एनआईटी का अस्थाई कैंपस आखिर कहां बनेगा? वहीं, कोर्ट ने जुर्माने की राशि घायल छात्रा नीलम मीणा को देने के आदेश दिए हैं और कहा है कि मेडिकल बिल भी माफ किया जाए.

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