नैनीताल: बिनसर वन्यजीव अभयारण्य अल्मोड़ा में बिना अनुमति चलाए जा रहे होटलों, रिजॉर्ट व रेस्टोरेंट्स के खिलाफ दायर याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मामले में अभयारण में निर्माण कार्य पर लगी रोक को जारी रखा है. जबकि स्पेयर हैड एडवेंचर (नंदा देवी स्टेट) को बिल्डिंग की मरम्मत करने की अनुमति दे दी है. क्योंकि यह बिल्डिंग 19वीं सदी की बनी हुई है, जो जीर्णशीर्ण हालात में है.
स्पेयर हैड एडवेंचर के मालिक जॉर्डन मिश्रा ने प्रार्थना पत्र देकर मांग की थी कि उन्हें इसकी मरम्मत करने की अनुमति दी जाए. क्योंकि यह बिल्डिंग 19वीं सदी की बनी हुई है. सुनवाई के दौरान अन्य होटल मालिकों द्वारा कोर्ट में कहा गया कि उनके होटल वैध है. उन्होंने अभयारण्य की भूमि पर किस भी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है. होटल पीसीबी के मानकों के अनुरूप चलाये रहे है.
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पीसीबी की तरफ से कहा गया कि स्पेयर हैड एडवेंचर को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति मिली हुई है. अन्य के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है. जबकि पीसीबी ने डीएफओ अल्मोड़ा को पत्र लिखकर इसके संबंध में जानकारी देने को कहा, जो अभी तक नहीं दिया गया. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.
बता दें कि कोटद्वार निवासी गिरी गौरव नैथानी ने जनहित याचिका दायर किया था. जिसमें उन्होंने कहा कुछ लोगों ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर प्रतिबंधित क्षेत्र बिनसर वन्यजीव अभयारण्य अल्मोड़ा में अतिक्रमण कर होटल, रिसार्ट व रेस्टोरेंट बना लिए हैं और कुछ बनाए जा रहे हैं. इस पर रोक लगाई जाए. पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इनकी सूची कोर्ट में देने को कहा था, लेकिन याचिकाकर्ता ने इनकी जानकारी नहीं देने पर कोर्ट ने सरकार से इनकी लिस्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था.
गौरतलब हो कि बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में 200 पक्षियों की प्रजातियों, बार्किंग हिरण, हिमालयी भालू, तेंदुआ, लोमड़ी, कस्तूरी मृग, लंगूर, साही, उड़न गिलहरी, चीतल, जंगल बिल्ली आदि देखने को मिलती है. 200 से अधिक प्रजातियों के साथ, बिनसर वन्यजीव अभयारण्य पक्षी उत्साही लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है। इस क्षेत्र के विभिन्न पूजनीय तीर्थस्थलों के अलावा, बिनसर को कुछ अद्भुत पुरातत्व स्थलों के लिए भी जाना जाता है. बिनसर अभयारण्य संग्रहालय पर्यटकों को क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास के बारे में शिक्षित करता है। इसके अलावा, मेगालिथिक युग से कुछ पत्थर की मूर्तियां हैं.