नैनीतालः उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरा मुसीबत बन गया है. हिमालयी क्षेत्र से लेकर तमाम पर्यटक स्थलों पर प्लास्टिक फैल रहा है. जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त है. अब हाईकोर्ट समेत प्रदेश के न्यायिक अधिकारी खुद सफाई व्यवस्था में जुट गए हैं. जिसकी शुरुआत मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने नैनीताल से की. नैनीताल में मुख्य न्यायाधीश ने छात्र-छात्राओं समेत हाईकोर्ट के कर्मचारियों व अधिकारियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई.
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी के नेतृत्व में प्रदेशभर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी का कहना है कि उत्तराखंड देश का हिमालयी राज्य है. इसके अलावा उत्तराखंड इको सेंसिटिव राज्य भी है. जहां से प्लास्टिक को खत्म करना बेहद जरूरी है. प्रदेश की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है, जिसे जीवित रखने के लिए इस तरह का प्रयास किए गए हैं. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने सफाई अभियान में जुटी महिला समूह समेत नगर निगम, नगर पालिका कर्मियों को सम्मानित किया.
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मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने कहा कि प्लास्टिक पदार्थों को खत्म करने को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई करने के दौरान उन्होंने इस तरह के अभियान शुरू करने के बारे में सोचा. जिसके तहत आज उत्तराखंड के सभी न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी समेत स्थानीय लोग जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि सफाई को लेकर अभियान बेहद आवश्यक है. सफाई अभियान में जिले के तमाम स्कूलों, सरकारी संस्थानों और स्थानीय लोगों को जोड़ा गया है.
लोगों को अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हुए खुद अपने आस पास के क्षेत्रों को साफ रखना चाहिए. सरकार स्वच्छता को लेकर बेहतर काम कर रही है. सरकार की ओर से स्वच्छता उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जिसमें स्थानीय लोगों को भी बढ़ चढ़कर प्रतिभाग कर अपने क्षेत्र को साफ रखनी चाहिए.
वहीं, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हाईकोर्ट कई बार साफ सफाई रखने के आदेश निकायों और राज्य सरकार को देता है. जिसको देखते हुए उन्होंने अब खुद साफ सफाई करने का जिम्मा उठाया है. इस दौरान न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी, न्यायाधीश विवेक भारती शर्मा, न्यायाधीश शरद शर्मा, न्यायाधीश रविंद्र मैठानी, न्यायाधीश आलोक वर्मा, न्यायाधीश पंकज पुरोहित, न्यायाधीश राकेश थपलियाल समेत हाईकोर्ट के तमाम अधिकारी और अधिवक्ता शामिल हुए.
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