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हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में मशीनों से खनन पर लगाई रोक, खनन सचिव से 12 जनवरी तक मांगा जवाब

उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने प्रदेश में मशीनों के द्वारा खनन किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मशीनों से खनन पर रोक लगाते हुए सचिव खनन से पूछा है कि वन निगम (Uttarakhand Forest Corporation) की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रुपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है. 12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताने के आदेश दिए हैं.

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Published : Dec 19, 2022, 1:16 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने प्रदेश में मशीनों के द्वारा खनन किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मशीनों से खनन पर रोक लगाते हुए सचिव खनन से पूछा है कि वन निगम (Uttarakhand Forest Corporation) की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रुपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है. 12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी की तिथि नियत की है. मामले के अनुसार हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन परासर व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में मशीनों से खनन की अनुमति नहीं है. उसके बाद भी प्रदेश में भारी मशीनों के साथ खनन किया जा रहा है. खनन नियमावली में मैनुअली खनन की अनुमति है. इस पर रोक लगाई जाए.
पढ़ें-लक्सर में ग्राम सभा की 12 हजार बीघा भूमि पर कब्जा, HC ने हरिद्वार डीएम से मांगा जवाब

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकारी व प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भी भिन्नता हैं. वन निगम की वेबसाइट पर 31 रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है. जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे हैं, सरकार ज्यादा दे रही है. जिससे सरकार को घाटा हो रहा है. क्योंकि लोग प्राइवेट खनन कारोबारियों से उप खनिज खरीद रहे हैं. सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित करने की मांग की गई है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने प्रदेश में मशीनों के द्वारा खनन किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मशीनों से खनन पर रोक लगाते हुए सचिव खनन से पूछा है कि वन निगम (Uttarakhand Forest Corporation) की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रुपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है. 12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी की तिथि नियत की है. मामले के अनुसार हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन परासर व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में मशीनों से खनन की अनुमति नहीं है. उसके बाद भी प्रदेश में भारी मशीनों के साथ खनन किया जा रहा है. खनन नियमावली में मैनुअली खनन की अनुमति है. इस पर रोक लगाई जाए.
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जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकारी व प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भी भिन्नता हैं. वन निगम की वेबसाइट पर 31 रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है. जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे हैं, सरकार ज्यादा दे रही है. जिससे सरकार को घाटा हो रहा है. क्योंकि लोग प्राइवेट खनन कारोबारियों से उप खनिज खरीद रहे हैं. सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित करने की मांग की गई है.

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