नैनीताल: चमोली के ऋणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को 2 सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही डीएम चमोली और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयुक्त टीम गठित कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. टीम कोर्ट को बताएगी की इस पावर प्रोजेक्ट की वजह से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा है.
बता दें, चमोली निवासी कुंदन सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अन्य प्रोजेक्ट नाम पर सरकार ने ग्रामीणों की जमीन ले ली गई है और लंबे समय तक उनसे प्रोजेक्ट में काम भी करवाया, लेकिन किसानों को न आजतक जमीन का मुआवजा मिला और न ही काम करने के एवज में मजदूरी.
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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि और प्रोजेक्ट के नाम पर नदी में स्टोन क्रेशर लगा दिया गया है. पावर प्रोजेक्ट बनाने के नाम पर क्षेत्र में बेतहाशा ब्लास्टिंग की जा रही है, जिससे कई गांवों को खतरा भी पैदा हो गया है. जबकि, इस विस्फोट में अब तक कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं. मरने वालों में प्रोजेक्ट के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रोजेक्ट के निर्माण से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है और विश्व में प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के वन मार्ग को प्रोजेक्ट के द्वारा बंद कर दिया गया है. याचिका में चीन सीमा में लगे इस क्षेत्र में हो रही ब्लास्टिंग पर भी सवाल खड़े किए हैं.
मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंग नाथन, न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए गंगा नदी में बन रहे ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट निर्माण में किसी भी प्रकार के विस्फोट पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही डीएम और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है.