नैनीतालः उत्तराखंड के कांग्रेसी नेता जयेंद्र रमोला, प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी और अभिनव थापर को नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने तीनों कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच पर रोक लगा दी है. साथ ही मामले में राज्य सरकार से 4 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामला वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़ा है. जिसमें पीयूष अग्रवाल ने तीनों के खिलाफ केस दर्ज कराया था.
दरअसल, बीती 28 दिसंबर को ऋषिकेश विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे जयेंद्र रमोला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल पर राजस्व चोरी के गंभीर आरोप लगाए थे. उनके साथ प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी भी मौजूद थीं. इस दौरान उन्होंने वित्त मंत्री और उनके परिवार पर करोड़ों रुपए की संपत्ति की खरीद फरोख्त का आरोप भी मढ़ा था. साथ ही पूरे मामले की जांच की मांग की थी.
वहीं, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल ने देहरादून पुलिस में तहरीर देकर तीनों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. साथ ही पीयूष अग्रवाल ने तीनों कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी. जिसके बाद कांग्रेसी नेता जयेंद्र रमोला, गरिमा दसौनी और अभिनव थापर ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंचे और याचिका दर्ज कराई.
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याचिका में तीनों कांग्रेसी नेताओं ने बताया कि पीयूष अग्रवाल ने राजनीतिक द्वेष भावना के कारण उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. लिहाजा, उन पर दर्ज मुकदमे को निरस्त किया जाए. वहीं, तीनों कांग्रेसी नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज करने की प्रार्थना की गई. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सुब्रमण्यम स्वामी के केस का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस सीधे मानहानि का केस दर्ज नहीं कर सकती है. उसके लिए पहले कम्प्लेंट केस दायर करना आवश्यक है. इसी आधार पर इस मुकदमे को निरस्त किया जाए.
आज मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई. कोर्ट की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने फरवरी माह की तिथि नियत की है.
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