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वर्चुअल तरीके से पोस्टमॉर्टम करने की याचिका पर सुनवाई, HC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Published : Sep 15, 2021, 6:55 PM IST

बुधवार को हाईकोर्ट में वर्चुअल तरीके से पोस्टमॉर्टम करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को सुनने से बाद केंद्र व राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

NAINITAL
नैनीताल

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्चुअल तरीके से पोस्टमॉर्टम करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र और राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब पेश करने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

मामले के तहत याचिकाकर्ता ऋषभ कुमार मिश्रा एवं अन्य की ओर से कहा गया है कि वर्तमान समय में शवों के पोस्टमॉर्टम के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह गलत और अमानवीय है. कोविड काल में जब एमआरआई (Magnetic resonance imaging) और सीटी स्कैन हो सकता है, तो पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं हो सकता. जबकि, सारे साधन उपलब्ध हैं. इस प्रक्रिया को अपनाने से समय व रुपयों की बचत भी होगी.

ये भी पढ़ेंः आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन आय से अधिक संपत्ति मामला, HC में कल भी होगी सुनवाई

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार के कानून मंत्री को भी प्रत्यावेद भेजा था, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला. जिसकी वजह से उनको माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करनी पड़ी. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्चुअल तरीके से पोस्टमॉर्टम करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र और राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब पेश करने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरत कुमार शर्मा एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

मामले के तहत याचिकाकर्ता ऋषभ कुमार मिश्रा एवं अन्य की ओर से कहा गया है कि वर्तमान समय में शवों के पोस्टमॉर्टम के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह गलत और अमानवीय है. कोविड काल में जब एमआरआई (Magnetic resonance imaging) और सीटी स्कैन हो सकता है, तो पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं हो सकता. जबकि, सारे साधन उपलब्ध हैं. इस प्रक्रिया को अपनाने से समय व रुपयों की बचत भी होगी.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार के कानून मंत्री को भी प्रत्यावेद भेजा था, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला. जिसकी वजह से उनको माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करनी पड़ी. मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से मामले में 4 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी.

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