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नैनीताल HC ने बीएससी कृषि की डिग्री को बताया वैध, अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति - Nainital HC allowed to candidates appear in main exam

हाईकोर्ट ने बीएससी कृषि को उद्यान विकास अधिकारी पद के मान्य बताते हुए इन अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने के आदेश किये हैं. जिन्होंने इस पद की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होकर न्यूनतम कट ऑफ अंक प्राप्त किये हैं.

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अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति
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Published : Aug 2, 2022, 5:50 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उद्यान विकास अधिकारी के पद के लिये बीएससी कृषि की डिग्री को वैध ठहराते हुए राज्य लोक सेवा आयोग से उन अभ्यर्थियों को उद्यान विकास अधिकारी की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है. जिन्होंने इस पद की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होकर न्यूनतम कट ऑफ अंक प्राप्त किये हैं. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

इस मामले के अनुसार कुलविंदर सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उद्यान विकास अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा में न्यूनतम कट ऑफ अंक प्राप्त किये थे, उन्होंने बीएससी कृषि से किया है. लेकिन उन्हें आयोग ने मुख्य परीक्षा के लिये अयोग्य घोषित करते हुए कहा कि उनकी स्नातक डिग्री कृषि उद्यान की नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड में कहर बनकर टूटी बारिश, यमुनोत्री धाम की यात्रा फिर बाधित, 229 सड़कें बंद

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इस विषय की कोई डिग्री है ही नहीं. इस पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग व सरकार से निर्देश मांगे थे. मंगलवार को सरकार ने स्वीकार किया कि उद्यान विषय की अलग से डिग्री नहीं है और यह विषय कृषि के साथ ही शामिल है. जिस पर हाईकोर्ट ने बीएससी कृषि को उद्यान विकास अधिकारी पद के मान्य बताते हुए इन अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने के आदेश किये हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उद्यान विकास अधिकारी के पद के लिये बीएससी कृषि की डिग्री को वैध ठहराते हुए राज्य लोक सेवा आयोग से उन अभ्यर्थियों को उद्यान विकास अधिकारी की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति देने को कहा है. जिन्होंने इस पद की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होकर न्यूनतम कट ऑफ अंक प्राप्त किये हैं. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.

इस मामले के अनुसार कुलविंदर सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उद्यान विकास अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा में न्यूनतम कट ऑफ अंक प्राप्त किये थे, उन्होंने बीएससी कृषि से किया है. लेकिन उन्हें आयोग ने मुख्य परीक्षा के लिये अयोग्य घोषित करते हुए कहा कि उनकी स्नातक डिग्री कृषि उद्यान की नहीं है.

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याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इस विषय की कोई डिग्री है ही नहीं. इस पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग व सरकार से निर्देश मांगे थे. मंगलवार को सरकार ने स्वीकार किया कि उद्यान विषय की अलग से डिग्री नहीं है और यह विषय कृषि के साथ ही शामिल है. जिस पर हाईकोर्ट ने बीएससी कृषि को उद्यान विकास अधिकारी पद के मान्य बताते हुए इन अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने के आदेश किये हैं.

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