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उतराखंड में दूर दराज इलाकों में लगेगी अदालत, 15 अगस्त से शुरू होगी ई-कोर्ट वैन सेवा

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Published : Aug 13, 2021, 8:07 PM IST

Updated : Aug 13, 2021, 8:29 PM IST

उत्तराखंड उच्च न्यायालय प्रदेश के उन दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए मोबाइल ई-न्यायालय शुरू करने जा रहा है, जहां न्यायालय लोगों की आसान पहुंच में नहीं हैं. स्वतंत्रता दिवस पर उत्तराखंड के 5 जिलों में मोबाइल कोर्ट यानी ई-कोर्ट शुरू किया जा रहा है.

mobile court
मोबाइल ई-कोर्ट

नैनीतालः उत्तराखंड में आगामी 15 अगस्त को मोबाइल ई-कोर्ट का शुभारंभ किया जाएगा. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान हरी झंडी दिखाकर मोबाइल ई-कोर्ट को रवाना करेंगे. पहले चरण में ई-कोर्ट वैन पांच जिलों में शुरू होगी. इसके शुरू हो जाने से लोगों को केस की सुनवाई और मामलों के निपटारे में काफी सहलूयित मिलेगी.

नैनीताल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड के पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वादों के त्वरित निस्तारण हेतु यह योजना संचालित की जा रही है. मोबाइल ई-कोर्ट का उद्देश्य जनता को उनके द्वार जाकर त्वरित न्याय देना है. उन्होंने बताया कि मोबाइल ई-कोर्ट प्रथम चरण में प्रदेश के पांच जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली में शुरू होगी.

15 अगस्त से शुरू होगी ई-कोर्ट वैन सेवा.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के पांच जिलों में शुरू होगी मोबाइल कोर्ट, जानें खासियत

आगामी 15 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ई-कोर्ट मोबाइल वैन को हाईकोर्ट परिसर से रवाना करेंगे. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे और वाहन उपलब्ध होंगे, वैसे-वैसे प्रदेश के सभी जिलों में मोबाइल ई-कोर्ट शुरू किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि अदालतों के मुकदमों के त्वरित निस्तारण में यह अहम कदम साबित होगा.

दहेज, छेड़छाड़, दुष्कर्म व अन्य वादों में महिला, बच्चे, वृद्ध साक्षी, चिकित्सक और अन्वेषण अधिकारी (आईओ) को अदालत पहुंचने में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों की वजह से न्याय मिलने में अधिक समय लग जाता है, त्वरित न्याय के सिद्धांत को हकीकत में बदलने के लिए मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन मुख्य न्यायाधीश की विशेष पहल है. इससे गवाहों के साथ ही न्यायालय का भी समय बचेगा.

ये भी पढ़ेंः मॉर्डन उत्तराखंड पुलिस: केस डायरी की जगह लेगा मोबाइल टैब, कोर्ट में पेश होंगे डिजिटल एविडेंस

सभी सुविधाओं से लैस होगी मोबाईल ई-कोर्टः उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में उत्तराखंड पहला प्रदेश है, जहां मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन किया जा रहा है. मोबाईल ई-कोर्ट पूरी तरह से सुविधाओं से लैस होगी. इसमें कोर्ट रूम से लेकर इंटरनेट, कम्प्यूटर और प्रिंटर समेत अन्य उपकरण और न्यायालय समन्वयक भी होंगे. दूरस्थ क्षेत्रों के गवाहों, आईओ और डॉक्टरों को उनके क्षेत्र में ही वैन में बैठाकर उन्हें वीसी के माध्यम से सीधे कोर्ट से जोड़ा जाएग. साथ ही उनके बयान अभिलिखित किए जाएंगे.

रजिस्ट्रार जनरल ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों की जो महिलाएं, बच्चे, वृद्ध गवाह न्यायालय आने में किसी वजह से असमर्थ हैं, वे सम्मन तामिली व्यक्ति के साथ ही राजस्व कर्मी, पीएलवी, ग्राम विकास अधिकारी, न्यायालय समन्वयक आदि को अपना प्रार्थना पत्र लिखित रूप में दे सकते हैं. मोबाइल ई-कोर्ट वैन जिला न्यायालयों के लिए होगी. ई-कोर्ट वैन जिला जज सत्र न्यायाधीश के नियंत्रण में संचालित होगी.

नैनीतालः उत्तराखंड में आगामी 15 अगस्त को मोबाइल ई-कोर्ट का शुभारंभ किया जाएगा. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान हरी झंडी दिखाकर मोबाइल ई-कोर्ट को रवाना करेंगे. पहले चरण में ई-कोर्ट वैन पांच जिलों में शुरू होगी. इसके शुरू हो जाने से लोगों को केस की सुनवाई और मामलों के निपटारे में काफी सहलूयित मिलेगी.

नैनीताल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड के पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वादों के त्वरित निस्तारण हेतु यह योजना संचालित की जा रही है. मोबाइल ई-कोर्ट का उद्देश्य जनता को उनके द्वार जाकर त्वरित न्याय देना है. उन्होंने बताया कि मोबाइल ई-कोर्ट प्रथम चरण में प्रदेश के पांच जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, टिहरी और चमोली में शुरू होगी.

15 अगस्त से शुरू होगी ई-कोर्ट वैन सेवा.

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आगामी 15 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ई-कोर्ट मोबाइल वैन को हाईकोर्ट परिसर से रवाना करेंगे. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे और वाहन उपलब्ध होंगे, वैसे-वैसे प्रदेश के सभी जिलों में मोबाइल ई-कोर्ट शुरू किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि अदालतों के मुकदमों के त्वरित निस्तारण में यह अहम कदम साबित होगा.

दहेज, छेड़छाड़, दुष्कर्म व अन्य वादों में महिला, बच्चे, वृद्ध साक्षी, चिकित्सक और अन्वेषण अधिकारी (आईओ) को अदालत पहुंचने में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों की वजह से न्याय मिलने में अधिक समय लग जाता है, त्वरित न्याय के सिद्धांत को हकीकत में बदलने के लिए मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन मुख्य न्यायाधीश की विशेष पहल है. इससे गवाहों के साथ ही न्यायालय का भी समय बचेगा.

ये भी पढ़ेंः मॉर्डन उत्तराखंड पुलिस: केस डायरी की जगह लेगा मोबाइल टैब, कोर्ट में पेश होंगे डिजिटल एविडेंस

सभी सुविधाओं से लैस होगी मोबाईल ई-कोर्टः उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में उत्तराखंड पहला प्रदेश है, जहां मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन किया जा रहा है. मोबाईल ई-कोर्ट पूरी तरह से सुविधाओं से लैस होगी. इसमें कोर्ट रूम से लेकर इंटरनेट, कम्प्यूटर और प्रिंटर समेत अन्य उपकरण और न्यायालय समन्वयक भी होंगे. दूरस्थ क्षेत्रों के गवाहों, आईओ और डॉक्टरों को उनके क्षेत्र में ही वैन में बैठाकर उन्हें वीसी के माध्यम से सीधे कोर्ट से जोड़ा जाएग. साथ ही उनके बयान अभिलिखित किए जाएंगे.

रजिस्ट्रार जनरल ने बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों की जो महिलाएं, बच्चे, वृद्ध गवाह न्यायालय आने में किसी वजह से असमर्थ हैं, वे सम्मन तामिली व्यक्ति के साथ ही राजस्व कर्मी, पीएलवी, ग्राम विकास अधिकारी, न्यायालय समन्वयक आदि को अपना प्रार्थना पत्र लिखित रूप में दे सकते हैं. मोबाइल ई-कोर्ट वैन जिला न्यायालयों के लिए होगी. ई-कोर्ट वैन जिला जज सत्र न्यायाधीश के नियंत्रण में संचालित होगी.

Last Updated : Aug 13, 2021, 8:29 PM IST
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