हल्द्वानी: कुमाऊं की सबसे बड़ी गौला नदी सरकार को खनन के रूप में सबसे ज्यादा राजस्व देती है. लेकिन, इस वर्ष गौला नदी में उप खनिज कम आया है. जिसके कारण सरकार ने इस सत्र में गौला नदी से मात्र 18 लाख 47 हजार घन मीटर ही उप खनिज निकासी का लक्ष्य रखा है. जिसमें अभी तक 13 लाख घन मीटर से अधिक की निकासी हो चुकी है.
ऐसे में जून माह तक चलने वाली गौला नदी इस बार मार्च के पहले सप्ताह में बंद होने की उम्मीद जताई जा रही है. जिससे खनन कारोबार से जुड़े हजारों लोगों पर रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. यहीं नहीं नदी में उप खनिज कम आने के कारण अब रेता बजरी के साथ मिट्टी भी आनी शुरू हो गई है.
वहीं, वन क्षेत्राधिकारी गौला रेंज आरपी जोशी के अनुसार इस साल गौला नदी से उप खनिज निकासी के लिए शासन से 18 लाख 47 हजार घनमीटर लक्ष्य की अनुमति है. जिसमें विभाग ने अभी तक 13 लाख घन मीटर से अधिक की निकासी करा चुका है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि मार्च के प्रथम सप्ताह तक लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा.
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गौरतलब है कि पिछले वर्ष खनन सत्र 2018 -19 खनिज के लिए 58 मीटर लक्ष्य रखा गया था. जिससे सरकार को करोड़ों की राजस्व भी प्राप्ति हुई थी. लेकिन, इस बार मात्र 18 लाख 47 हजार घन मीटर उप खनिज का लक्ष्य पूरा हो रहा है. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार गौला नदी से खनन कारोबार से सरकार को जहां करोड़ों का राजस्व का नुकसान होगा. वहीं, खनन से जुटे हजारों कारोबारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
वहीं, गौला नदी में उप खनिज कम आने से खनन के दौरान रेता बजरी के साथ मिट्टी भी आनी शुरू हो गई है. जिसके कारण स्टोन क्रशर संचालक उप खनिज की खरीद में भी आनाकानी कर रहे हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि मार्च के प्रथम सप्ताह तक गौला नदी इस सत्र के लिए बंद हो सकती है.