नैनीताल: हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जीवाड़े (kumbh fake corona test case) का मामला नैनीताल हाईकोर्ट (nainital high court) में पहुंच गया है. गिरफ्तारी से बचने के लिए मैक्स कॉरपोरेट सर्विस की तरफ से नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. इसमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विस (max corporate service) पर दर्ज हुई एफआईआर को रद्द करने के साथ ही गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई है.
मैक्स कॉरपोरेट सर्विस (max corporate service) की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर कहा गया है कि कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के कोविड टेस्ट को लेकर राज्य सरकार ने उन्हें अधिकृत किया था. मैक्स कॉरपोरेट सर्विस (max corporate service) ने उत्तराखंड की दो टेस्टिंग लैब लाल चंदानी और नलवा लैब जो राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हैं, उनको टेस्टिंग की जिम्मेदारी दी. इन पर आरोप है कि उन्होंने श्रद्धालुओं की फर्जी रिपोर्ट बनाई है. लिहाजा मैक्स कॉरपोरेट सर्विस पर कार्रवाई न करते हुए फर्जी रिपोर्ट बनाने वाली टेस्टिंग लैबों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. मैक्स कॉरपोरेट सर्विस ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए.
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बता दें कि गुरुवार को हरिद्वार जिलाधिकारी सी. रविशंकर (Haridwar District Magistrate C. Ravi Shankar) के आदेश पर सीएमओ शंभूनाथ झा ने हरिद्वार की नगर कोतवाली में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और उससे अनुबंधित दो लैब (दिल्ली की लाल चंदानी और हरियाणा के हिसार की नलवा लैब) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं हरिद्वार जिलाधिकारी ने भी इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर रखी है, जो 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. ऐसे में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और उससे अनुबंधित दोनों लैब की मुश्किलें बढ़नी तय हैं.
यहीं कारण है कि समय रहते गिरफ्तारी से बचने के लिए मैक्स कॉरपोरेट सर्विस की तरफ से शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई. इस पर कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी. गौरतलब हो कि हरिद्वार की नगर कोतवाली में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 188, 120B, 269 व 270 व आपदा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
बता दें कि हरिद्वार कुंभ (Haridwar Kumbh) में करीब एक लाख से ज्यादा कोविड रिपोर्ट संदेह के घेरे में हैं. दरअसल, हरिद्वार कुंभ में कोरोना कोरोना जांच के लिए 10 लैब को इनपैनल किया गया था. इन 10 में से एक कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस (max corporate service) के नाम से थी. इसकी दो लैब (दिल्ली की डॉ. लालचंदानी और हिसार की नलवा लैब) ने हरिद्वार कुंभ में कोविड टेस्ट किए थे. सबसे ज्यादा गड़बड़झाला इन दोनों लैब की रिपोर्ट में ही आ रही है. हालांकि इस मामले में जांच भी शुरू कर दी गई है.
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दोनों लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज
हरिद्वार जिलाधिकारी सी. रविशंकर के आदेश पर हरिद्वार सीएमओ शंभू नाथ झा ने हरिद्वार की नगर कोतवाली में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस की दोनों लैब (दिल्ली की डॉ. लालचंदानी और हिसार की नलवा लैब) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. बुधवार को ईटीवी भारत ने वेबसाइट के जरिए मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के नोएडा और दिल्ली की डॉ. लालचंदानी लैब का पता ढूंढ निकाला. जब ईटीवी भारत की टीम वेबसाइट पर डाले गए पते के अनुसार नोएड और दिल्ली पहुंची, तो वहां न तो इस तरह कोई कंपनी थी और न ही दिल्ली में ऐसी कोई लैब थी.
मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और लाल चांदनी लैब का पता फर्जी
इसके बाद गुरुवार को ईटीवी भारत ने हिसार की नलवा लैब का भी सच जानने की कोशिश की. हालांकि नोएडा की मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और दिल्ली की डॉ. लालचंदानी लैब की तरह हिसार की नलवा लैब फर्जी नहीं निकली. हिसार में नलवा लैब है. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने नलवा लैब के संचालक डॉ. जेपी नलवा से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि पहले वे दिल्ली में अपनी सहयोगी लैब से बात करेंगे, उसी के बाद इस मामले में कुछ जवाब देंगे.
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क्या है मामला
बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच अब सवालों के घेरे में आ गई है. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.
यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है. इस मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए थे.
ऐसा हुआ था खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के माध्यम से हुआ है. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली. विपन मित्तल के मुताबिक उन्हें उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए. क्योंकि उन्होंने कोई कोरोना की कोई जांच ही नहीं कराई थी. ऐसे में विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए विपिन ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.
आईसीएमआर ने दिखाई सतर्कता
आईसीएमआर (ICMR) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा. वहीं यह पूरा मामला यहीं नहीं थमा. इसके बाद उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच कराई, तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. अब एक लाख से ज्यादा जांच संदेह के घेरे में आ चुकी है.
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डाटा में सामने आया बड़ा झोल
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य 12 जनपदों में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुए कोविड जांच का एक डाटा साझा किया गया है. नौटियाल के मुताबिक इस पूरे डाटा पर अगर ध्यान दें, तो यह साफ पता चलता है कि 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच उत्तराखंड में हुए कुल कोविड-19 टेस्ट के 58 प्रतिशत टेस्ट हरिद्वार जिले में ही हुए हैं. इसके अलावा इस समय जब हरिद्वार में महाकुंभ मेला चल रहा था, तब भी इस तिथि में हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 80 प्रतिशत कम था. यह कैसे संभव हो सकता है? यह एक बड़ा सोचने का विषय है.
एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.