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पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाए का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, याचिकाकर्ता को पैसे वसूले जाने की उम्मीद

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Published : Feb 21, 2022, 7:25 PM IST

Updated : Feb 21, 2022, 7:41 PM IST

राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया करीब दो करोड़ 75 लाख सरकारी आवास का किराया और करीब 20 करोड़ सुविधाओं के बकाये का मामला फिर चर्चाओं में है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है.

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पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाए का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नैनीताल: हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास किराया बाजार दर से वसूलने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरएलईके को नोटिस जारी कर जबाव देने को कहा गया था. आरएलईके ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित किराया वसूली आदेश का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जवाबी हलफनामा दायर किया है.

आरएलईके के वकील डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें दावा किया गया है कि बाजार दर पर किराया वसूली अनुचित है. बाजार दर की गणना करते समय उनकी बात नहीं सुनी गयी. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि बाजार किराए की वसूली की कोई आवश्यकता नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड में ठंड से राहत नहीं, अगले दो दिन बारिश और ओलावृष्टि की आशंका

कार्तिकेय हरिगुप्ता ने एसएलपी का कड़ा विरोध किया है. अपना काउंटर हलफनामा दायर किया कि यह 2010 का मामला है. शुरुआत से ही, सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का उच्च न्यायालय में अपने वकीलों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया जा रहा था. लगातार बाजार किराए की वसूली के खिलाफ बहस कर रहे थे, इसलिए सुनवाई की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा, उच्च न्यायालय का पहला आदेश राज्य को बाजार किराए की वसूली के लिए वर्ष 2017 में पारित किया गया था, जिसे सभी उत्तरदाताओं की उपस्थिति में पारित किया गया था. जिसे उनके द्वारा कभी चुनौती नहीं दी गई.

पढ़ें- CM धामी ने निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का किया निरीक्षण, BJP में गुटबाजी से किया इनकार

आरएलईके, ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए रुख का भी विरोध किया है. संस्था ने काउंटर हलफनामे में दलील दी है कि अवैध कब्जे के मामले में, बाजार का किराया केवल एक उचित किराया हो सकता है. केवल मामूली सरकारी किराया लेना सार्वजनिक लागत पर निजी व्यक्तियों के अन्यायपूर्ण कब्जे के बराबर होगा. मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 25 फरवरी, 2022 की अग्रिम सूची में सूचीबद्ध है. हम उस दिन सुनवाई की उम्मीद कर रहे हैं.

पढ़ें- होली से पहले 10 मार्च को उत्तराखंड में कौन उड़ाएगा अबीर-गुलाल ? जानिए पूरा गणित

आरएलईके के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार निजी व्यक्तियों से सार्वजनिक धन की वसूली का विरोध कर रही है. हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करेगा. इन निजी व्यक्तियों से जनता का पैसा वसूल किया जाएगा.

नैनीताल: हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास किराया बाजार दर से वसूलने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरएलईके को नोटिस जारी कर जबाव देने को कहा गया था. आरएलईके ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित किराया वसूली आदेश का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जवाबी हलफनामा दायर किया है.

आरएलईके के वकील डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें दावा किया गया है कि बाजार दर पर किराया वसूली अनुचित है. बाजार दर की गणना करते समय उनकी बात नहीं सुनी गयी. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि बाजार किराए की वसूली की कोई आवश्यकता नहीं है.

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कार्तिकेय हरिगुप्ता ने एसएलपी का कड़ा विरोध किया है. अपना काउंटर हलफनामा दायर किया कि यह 2010 का मामला है. शुरुआत से ही, सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का उच्च न्यायालय में अपने वकीलों के माध्यम से प्रतिनिधित्व किया जा रहा था. लगातार बाजार किराए की वसूली के खिलाफ बहस कर रहे थे, इसलिए सुनवाई की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा, उच्च न्यायालय का पहला आदेश राज्य को बाजार किराए की वसूली के लिए वर्ष 2017 में पारित किया गया था, जिसे सभी उत्तरदाताओं की उपस्थिति में पारित किया गया था. जिसे उनके द्वारा कभी चुनौती नहीं दी गई.

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आरएलईके, ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए रुख का भी विरोध किया है. संस्था ने काउंटर हलफनामे में दलील दी है कि अवैध कब्जे के मामले में, बाजार का किराया केवल एक उचित किराया हो सकता है. केवल मामूली सरकारी किराया लेना सार्वजनिक लागत पर निजी व्यक्तियों के अन्यायपूर्ण कब्जे के बराबर होगा. मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 25 फरवरी, 2022 की अग्रिम सूची में सूचीबद्ध है. हम उस दिन सुनवाई की उम्मीद कर रहे हैं.

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आरएलईके के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार निजी व्यक्तियों से सार्वजनिक धन की वसूली का विरोध कर रही है. हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि करेगा. इन निजी व्यक्तियों से जनता का पैसा वसूल किया जाएगा.

Last Updated : Feb 21, 2022, 7:41 PM IST

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