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शहीद यमुना प्रसाद पनेरू का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार - Martyr Yamuna Prasad Paneru

हल्द्वानी के गोरापड़ाव के लाल यमुना प्रसाद पनेरू जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हो गए थे. रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया. जहां सैन्य सम्मान के साथ रानीबाग स्थित शीतला घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

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शहीद का अंतिम संस्कार
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Published : Jun 14, 2020, 1:37 PM IST

Updated : Jun 14, 2020, 2:32 PM IST

हल्द्वानी: देशभक्ति का जज्बा और देश रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने का संकल्प सैन्य धाम उत्तराखंड के हर जवान का सपना रहता है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले का लाल शहीद सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू देश रक्षा के खातिर शहीद हो गए. काठगोदाम के रानीबाग स्थित शीतला घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे, यशपाल आर्य समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद रहे. बीते गुरुवार को पेट्रोलिंग के दौरान यमुना प्रसाद पनेरू शहीद हो गए थे.

सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार.

2001 में सेना में भर्ती हुए थे यमुना प्रसाद पनेरू

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के गोरापड़ाव ग्राम निवासी सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू 2001 में फौज में भर्ती हुए थे. सेना के साथ कदम से कदम मिलाकर मां भारती की रक्षा के अलावा उन्होंने कई और भी कीर्तिमान स्थापित किए थे. साल 2012 में 6 कुमाऊं में तैनात सूबेदार यमुना प्रसाद ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह कर वहां तिरंगा लहराया था. इसके अलावा नंदा देवी सहित अन्य पर्वतों पर चढ़ाई कर सेना का नाम रोशन किया.

पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए यमुना प्रसाद पनेरू

पिछले गुरुवार को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में पेट्रोलिंग के दौरान यमुना प्रसाद शहीद हो गए. अपने दिल में रिटायरमेंट के बाद माउंटेन ट्रेनिंग स्कूल खोलने का सपना देखने वाले यमुना प्रसाद पनेरू समय से पहले ही देश के लिए कुर्बान हो गए. शहीद यमुना प्रसाद अपने तीन भाइयों में मझले भाई थे. वह अपने पीछे पत्नी, एक 7 साल का बेटा और 5 साल की बेटी को छोड़ गए.

ये भी पढ़े: सेना के नये शूरवीरों के उत्साह में नहीं आई कमी, कोरोना संकट में काबिले तारीफ है इनका संदेश

यमुना प्रसाद पनेरू की शहादत पर परिवार को गर्व

शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर पहुंचा तो उनकी मां और पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी. पूरा क्षेत्र गमगीन हो गया. वहीं, यमुना प्रसाद की शहादत पर परिवार को गर्व भी है. शहीद के भाई का कहना है कि देश प्रेम का जज्बा बचपन से ही यमुना प्रसाद के मन में कूट कूटकर भरा था. आज उनका भाई उनके बीच नहीं है, इसका उन्हें दुख है, लेकिन वह देश के काम आया. उसने देश के लिए कुर्बानी दी. इससे मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है.

अंतिम संस्कार में मंत्री, सैन्य अधिकारी और ग्रामीणों का लगा जमावड़ा

शहीद यमुना प्रसाद पनेरू के अंतिम संस्कार में सरकार के मंत्री अरविंद पांडे और यशपाल आर्य सहित बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी शामिल हुए. वहीं, अंतिम संस्कार में शामिल हुए विधायक राम सिंह कैड़ा और नवीन दुम्का सहित कई सैन्य अधिकारियों के साथ साथ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि पूरी सरकार की संवेदनाएं शहीद के परिजनों के साथ है और यह सरकार कंधे से कंधा मिलाकर शहीद के परिजनों के साथ खड़ी है. सरकार शहीद के परिजनों की हर संभव मदद करेगी.

हल्द्वानी: देशभक्ति का जज्बा और देश रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने का संकल्प सैन्य धाम उत्तराखंड के हर जवान का सपना रहता है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले का लाल शहीद सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू देश रक्षा के खातिर शहीद हो गए. काठगोदाम के रानीबाग स्थित शीतला घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे, यशपाल आर्य समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद रहे. बीते गुरुवार को पेट्रोलिंग के दौरान यमुना प्रसाद पनेरू शहीद हो गए थे.

सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार.

2001 में सेना में भर्ती हुए थे यमुना प्रसाद पनेरू

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के गोरापड़ाव ग्राम निवासी सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू 2001 में फौज में भर्ती हुए थे. सेना के साथ कदम से कदम मिलाकर मां भारती की रक्षा के अलावा उन्होंने कई और भी कीर्तिमान स्थापित किए थे. साल 2012 में 6 कुमाऊं में तैनात सूबेदार यमुना प्रसाद ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह कर वहां तिरंगा लहराया था. इसके अलावा नंदा देवी सहित अन्य पर्वतों पर चढ़ाई कर सेना का नाम रोशन किया.

पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए यमुना प्रसाद पनेरू

पिछले गुरुवार को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में पेट्रोलिंग के दौरान यमुना प्रसाद शहीद हो गए. अपने दिल में रिटायरमेंट के बाद माउंटेन ट्रेनिंग स्कूल खोलने का सपना देखने वाले यमुना प्रसाद पनेरू समय से पहले ही देश के लिए कुर्बान हो गए. शहीद यमुना प्रसाद अपने तीन भाइयों में मझले भाई थे. वह अपने पीछे पत्नी, एक 7 साल का बेटा और 5 साल की बेटी को छोड़ गए.

ये भी पढ़े: सेना के नये शूरवीरों के उत्साह में नहीं आई कमी, कोरोना संकट में काबिले तारीफ है इनका संदेश

यमुना प्रसाद पनेरू की शहादत पर परिवार को गर्व

शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर पहुंचा तो उनकी मां और पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी. पूरा क्षेत्र गमगीन हो गया. वहीं, यमुना प्रसाद की शहादत पर परिवार को गर्व भी है. शहीद के भाई का कहना है कि देश प्रेम का जज्बा बचपन से ही यमुना प्रसाद के मन में कूट कूटकर भरा था. आज उनका भाई उनके बीच नहीं है, इसका उन्हें दुख है, लेकिन वह देश के काम आया. उसने देश के लिए कुर्बानी दी. इससे मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है.

अंतिम संस्कार में मंत्री, सैन्य अधिकारी और ग्रामीणों का लगा जमावड़ा

शहीद यमुना प्रसाद पनेरू के अंतिम संस्कार में सरकार के मंत्री अरविंद पांडे और यशपाल आर्य सहित बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी शामिल हुए. वहीं, अंतिम संस्कार में शामिल हुए विधायक राम सिंह कैड़ा और नवीन दुम्का सहित कई सैन्य अधिकारियों के साथ साथ पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि पूरी सरकार की संवेदनाएं शहीद के परिजनों के साथ है और यह सरकार कंधे से कंधा मिलाकर शहीद के परिजनों के साथ खड़ी है. सरकार शहीद के परिजनों की हर संभव मदद करेगी.

Last Updated : Jun 14, 2020, 2:32 PM IST
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