ETV Bharat / state

ये पौधा कई बीमारियों के लिए है रामवाण, बस ऐसे करना होगा इस्तेमाल - Uttarakhand Forest Research Center

Medicinal Plant Chicory Benefits उत्तराखंड में कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों में रामबाण का काम करती हैं. उन्हीं में से एक कासनी का पौधा भी है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है. इस पौधे को हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र संरक्षित कर रहा है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2023, 12:18 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 1:32 PM IST

कासनी के पौध हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में हो रहे तैयार

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कई औषधीय पौधों को संरक्षित करने के लिए जाना जाता है. वन अनुसंधान केंद्र में कासनी के पौध तैयार किए जा रहे हैं, जो कई औषधीय गुणों से भरपूर है. साथ ही कासनी का पौधा कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है.

Haldwani
वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कर रहा संरक्षित

दवाइयों में किया जाता है इस्तेमाल: कासनी का पौधा एक प्रकार का चमत्कारी पौधा है.जिसमे कई प्रकार की आर्युवेदिक गुण पाए जाते हैं. कासनी के पौधे की मांग न केवल देश भर में है, बल्कि विदेशों तक है. वन अनुसंधान केंद्र इस चमत्कारी पौधे को ₹20 में लोगों को उपलब्ध करा रहा है. डॉक्टर भी कासनी के सेवन करने की सलाह देते हैं.इस पौधे की जड़े व पत्तियां सभी दवाइयों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट कासनी के पौधों को लगाने के लिए लोगों को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं.

Haldwani
कई बीमारियों में काम आता है कासनी का पौधा

बीमारियों से रखता है दूर: कासनी का वानस्पतिक नाम चिकोरियम इंटीबस (Cichorium intybus) है. जहां इसके पति और जड़ के सेवन करने से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. ब्लड प्रेशर, शुगर, लीवर और बवासीर जैसी कई बीमारियों के लिए कासनी का पौधा रामबाण इलाज है. इस पौधे की खासियत यह है कि हर कोई अपने घर आसपास के खेत हो या घर के गमले में लगा सकता है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में भारी संख्या में कासनी के पौधे लगाए गए हैं. यहां से करीब 2 लाख से अधिक कासनी के पौधों की बिक्री हो चुकी है.
पढ़ें-फूलों की खुशबू से महका वन अनुसंधान केंद्र का गार्डन, तितलियां,मधुमक्खियों और पक्षियों को दे रहा जीवनदान

मदन सिंह बिष्ट दे रहे बढ़ावा: अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट के मुताबिक यह मूल रूप से यूरोप के देशों में पाए जाने वाला पौधा है. यह पौधा उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के निचले क्षेत्रों के पाया जाता है, जो धीरे-धीरे विलुप्त के कगार पर भी है. अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट के मुताबिक उन्होंने साल 2011 में कासनी का पौध को केंद्र में लगाया, जिस पर उन्होंने काफी रिसर्च करते हुए, कासनी की खूबियों को महसूस किया. मदन सिंह बिष्ट ने कासनी के पौधे के शोध पर एक किताब भी लिखी है, किताब का नाम कासनी चबाओ ,रोग भगाओ रखा है.

कासनी के औषधीय गुण: किडनी का संक्रमण, बड़ी हुई शुगर, ब्लड प्रेशर, लीवर का संक्रमण, बवासीर, ब्लड शुगर जैसी बीमारियों में इस चिकित्सकीय पौधे की पत्तियों का सेवन मरीजों के लिये रामबाण का काम कर रही है. कासनी के पौधे के जड़ के प्रयोग करने से किडनी, सिरदर्द, नेत्र रोग, गले का सूजन, लीवर के रोग, बुखार, उल्टी, लूज मोशन आदि में बहुत लाभ मिलता है. इसके सुखाये बीजों को ठंडाई में भी मिलाया जाता है.
पढ़ें-हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने तैयार किए 2 लाख पौधे, मानसून सीजन में बिक्री के लिए तैयार

कैसे करें इसका प्रयोग: कासनी के दो पत्तों को खाली पेट प्रातः चबाकर खाने से एवं उसके बाद 30-40 मिनट तक कुछ नहीं खाने से रोग पर जल्द नियंत्रण होता है. नियमित रूप से पत्ते खाने से 3-4 माह में रोगियों द्वारा अपने रोग की जांच कराने पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है.शरीर पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता.

कासनी के पौध हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में हो रहे तैयार

हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कई औषधीय पौधों को संरक्षित करने के लिए जाना जाता है. वन अनुसंधान केंद्र में कासनी के पौध तैयार किए जा रहे हैं, जो कई औषधीय गुणों से भरपूर है. साथ ही कासनी का पौधा कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है.

Haldwani
वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कर रहा संरक्षित

दवाइयों में किया जाता है इस्तेमाल: कासनी का पौधा एक प्रकार का चमत्कारी पौधा है.जिसमे कई प्रकार की आर्युवेदिक गुण पाए जाते हैं. कासनी के पौधे की मांग न केवल देश भर में है, बल्कि विदेशों तक है. वन अनुसंधान केंद्र इस चमत्कारी पौधे को ₹20 में लोगों को उपलब्ध करा रहा है. डॉक्टर भी कासनी के सेवन करने की सलाह देते हैं.इस पौधे की जड़े व पत्तियां सभी दवाइयों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट कासनी के पौधों को लगाने के लिए लोगों को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं.

Haldwani
कई बीमारियों में काम आता है कासनी का पौधा

बीमारियों से रखता है दूर: कासनी का वानस्पतिक नाम चिकोरियम इंटीबस (Cichorium intybus) है. जहां इसके पति और जड़ के सेवन करने से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. ब्लड प्रेशर, शुगर, लीवर और बवासीर जैसी कई बीमारियों के लिए कासनी का पौधा रामबाण इलाज है. इस पौधे की खासियत यह है कि हर कोई अपने घर आसपास के खेत हो या घर के गमले में लगा सकता है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में भारी संख्या में कासनी के पौधे लगाए गए हैं. यहां से करीब 2 लाख से अधिक कासनी के पौधों की बिक्री हो चुकी है.
पढ़ें-फूलों की खुशबू से महका वन अनुसंधान केंद्र का गार्डन, तितलियां,मधुमक्खियों और पक्षियों को दे रहा जीवनदान

मदन सिंह बिष्ट दे रहे बढ़ावा: अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट के मुताबिक यह मूल रूप से यूरोप के देशों में पाए जाने वाला पौधा है. यह पौधा उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के निचले क्षेत्रों के पाया जाता है, जो धीरे-धीरे विलुप्त के कगार पर भी है. अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट के मुताबिक उन्होंने साल 2011 में कासनी का पौध को केंद्र में लगाया, जिस पर उन्होंने काफी रिसर्च करते हुए, कासनी की खूबियों को महसूस किया. मदन सिंह बिष्ट ने कासनी के पौधे के शोध पर एक किताब भी लिखी है, किताब का नाम कासनी चबाओ ,रोग भगाओ रखा है.

कासनी के औषधीय गुण: किडनी का संक्रमण, बड़ी हुई शुगर, ब्लड प्रेशर, लीवर का संक्रमण, बवासीर, ब्लड शुगर जैसी बीमारियों में इस चिकित्सकीय पौधे की पत्तियों का सेवन मरीजों के लिये रामबाण का काम कर रही है. कासनी के पौधे के जड़ के प्रयोग करने से किडनी, सिरदर्द, नेत्र रोग, गले का सूजन, लीवर के रोग, बुखार, उल्टी, लूज मोशन आदि में बहुत लाभ मिलता है. इसके सुखाये बीजों को ठंडाई में भी मिलाया जाता है.
पढ़ें-हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने तैयार किए 2 लाख पौधे, मानसून सीजन में बिक्री के लिए तैयार

कैसे करें इसका प्रयोग: कासनी के दो पत्तों को खाली पेट प्रातः चबाकर खाने से एवं उसके बाद 30-40 मिनट तक कुछ नहीं खाने से रोग पर जल्द नियंत्रण होता है. नियमित रूप से पत्ते खाने से 3-4 माह में रोगियों द्वारा अपने रोग की जांच कराने पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है.शरीर पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता.

Last Updated : Oct 24, 2023, 1:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.