हल्द्वानीः उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिस पर लगाम लगाना अब नामुमकिन सा लग रहा है. इनदिनों नैनीताल जिले के मलवाताल और पिनरों गांव में गुलदार की चहलकदमी के बाद कर्फ्यू जैसे हालात हैं. सुरक्षा के लिहाज से पिनरों गांव के सभी स्कूलों को कुछ दिनों के लिए बंद करने का निर्देश दिया गया है. इतना ही नहीं यहां के ग्रामीण रोजमर्रा के कामों के लिए घर से बाहर निकलने में कतरा रहे हैं.
दरअसल, नैनीताल वन प्रभाग के पिनरों और मलवाताल समेत अन्य गांवों में बीते एक हफ्ते से गुलदार की दहशत बनी हुई है. गुलदार अब तक दो महिलाओं को अपना निवाला बना चुका है और अलग-अलग हिस्सों में उसकी मूवमेंट जारी है. जिससे ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश देखने को मिल रहा है. ग्रामीणों के आक्रोश के बाद वन महकमा हरकत में आया है.
मामले में वन विभाग के एसडीओ हेमचंद्र गहतोड़ी का कहना है कि गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग की 6 से 7 टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही है. अभी तक 10 कैमरा ट्रैप लगाए जा चुके हैं. गुलदार की लोकेशन को जानने के लिए ड्रोन कैमरे की मदद भी ली जा रही है. गांव के अलग-अलग हिस्सों में 2-3 पिंजरे लगाए गए हैं. वन विभाग की कई टीमें जंगल की खाक छान रही है. बावजूद इसके गुलदार वन विभाग की पकड़ से बाहर है.
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गौर हो कि गुलदार के हमले में दो महिलाओं की मौत के बाद पिनरों और मलवाताल गांव में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. गुलदार के खतरे को भांपते हुए यहां के स्कूलों को प्रशासन ने आनन-फानन में बंद करवा दिया है. साथ ही ग्रामीणों से अपील की है कि वो अकेले घर से बाहर न निकलें. वहीं, गुलदार की दहशत से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. स्थानीय निवासी रेनू पलडिया के मुताबिक, बीते कुछ सालों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ गया है. जिस पर लगाम लगाई जानी चाहिए.
वहीं, गुलदार के दशहत की वजह से लोगों की दिनचर्या भी असर पड़ा है. क्योंकि, पहाड़ में कोई ऐसा रोजगार नहीं है, जिससे ग्रामीण बिना घर से निकले अपनी आजीविका चला सके. अब मवेशियों के लिए चारा पत्ती और जलावन लकड़ी लाना भी मुश्किल हो गया है. क्योंकि, महिलाएं गुलदार के डर से जंगल नहीं जा पा रही है. महिलाओं की मानें तो करीब 20 सालों में पहली बार गुलदार का ऐसा आतंक देखने को मिल रहा है.