नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम याचिका से हटा दिया गया है. भगत सिंह कोश्यारी के वकील ने उनके राज्यपाल होने का हवाला देते हुए याचिका से नाम हटाने की मांग की थी.
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने भगत सिंह कोशियारी के नाम को रिकॉर्ड में लेते हुए उनका नाम याचिका से हटा दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार 2 दिसंबर को होगी.
गौर हो कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा करने का फैसला सुनाया था. जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी.
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पूर्व में सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार और भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. जबकी पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार की ओर से जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं वो गलत हैं. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.
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पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला लिया था. जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है.