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नैनीताल हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल का नाम याचिका से हटाया, जाने क्या है मामला

पूर्व में सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें से भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है.

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Published : Nov 26, 2019, 11:34 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 11:54 PM IST

nainital high court
फाइल फोटो

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम याचिका से हटा दिया गया है. भगत सिंह कोश्यारी के वकील ने उनके राज्यपाल होने का हवाला देते हुए याचिका से नाम हटाने की मांग की थी.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने भगत सिंह कोशियारी के नाम को रिकॉर्ड में लेते हुए उनका नाम याचिका से हटा दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार 2 दिसंबर को होगी.

महाराष्ट्र के राज्यपाल का नाम याचिका से हटाया

गौर हो कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा करने का फैसला सुनाया था. जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी.

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पूर्व में सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार और भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. जबकी पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार की ओर से जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं वो गलत हैं. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

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पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला लिया था. जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है.

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का नाम याचिका से हटा दिया गया है. भगत सिंह कोश्यारी के वकील ने उनके राज्यपाल होने का हवाला देते हुए याचिका से नाम हटाने की मांग की थी.

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने भगत सिंह कोशियारी के नाम को रिकॉर्ड में लेते हुए उनका नाम याचिका से हटा दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार 2 दिसंबर को होगी.

महाराष्ट्र के राज्यपाल का नाम याचिका से हटाया

गौर हो कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा करने का फैसला सुनाया था. जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी.

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पूर्व में सरकार ने पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दो करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसमें सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार और भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. जबकी पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार की ओर से जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं वो गलत हैं. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

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पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला लिया था. जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है.

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पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया और भत्ते जमा करने के मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल का नाम याचिका से हटा।

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज याचिका से अपना नाम वापस ले लिया है, भगत सिंह कोश्यारी के वकील द्वारा कोशियारी के राज्यपाल होने का हवाला देते हुए याचिका से नाम वापस लेने की मांग की मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने भगत सिंह कोशियारी के नाम को रिकॉर्ड में लेते हुए उनका नाम याचिका से हटा दिया है,अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार 2 दिसंबर को होगी।




Body:पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमाना करने का फैसला किया था, जिसको यकचिककर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी।
पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रीयो पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिर्पोट कोर्ट में पेश करी,,, जिसमें सरकार ने बताया की पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, 

बीसी खण्डूरी पर 46 लाख 59 हजार, 

विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, 

भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया हैं,,, जबकी पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है,,,


Conclusion:अपाको बता दे कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पुर्व मुख्यमंत्रीयो को सरकार द्धारा जो सरकारी भवन और सुविधाए दी जा रही है वो गलत है साथ ही जब से पुर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे है उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी,
पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया को माफ करने का फैसला लिया था जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है।

बाईट- कार्तिके हरी गुप्ता, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Nov 26, 2019, 11:54 PM IST
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