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'दावानल के दानव' की भूख बढ़ा रहा चीड़, हर साल होती है करोड़ों की वन संपदा खाक

जंगलों में हर साल आग लगने से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि आग लगने की मुख्य वजह चीड़ के पेड़ हैं.

fire in forest
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Published : May 10, 2019, 7:11 PM IST

Updated : May 10, 2019, 8:06 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ लगातार आग से धधक रहे हैं. वन विभाग आग पर काबू पाने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन नाकाम साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि पहाड़ों पर आग लगने का मुख्य कारण चीड़ के पेड़ हैं.

इस वजह से उत्तराखंड के जंगलों में लगती है आग.

उत्तराखंड में हर साल आग की घटनाओं में पहाड़ के हजारों हेक्टेयर वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है. वन विभाग पहाड़ पर लगने वाली आग को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित होता है. वन विभाग का मानना है कि ये आग लगने की मुख्य वजह चीड़ के पेड़ हैं. चीड़ के पेड़ से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है लेकिन हर साल इन्हीं से करोड़ों की वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है.

पढ़ें- अभी भी सुलग रहे अल्मोड़ा के जंगल, आबादी वाले इलाके में पहुंचने वाली है आग

बताया जाता है कि पहाड़ के जंगलों में भारी मात्रा में सूखे हुए पत्ते होते हैं, इन्हीं पत्तों में चीड़ की सुखी हुई पत्तियां (पिरूल) भी होती हैं, जो अतिज्वलनशील होती हैं, ऐसा इसलिये क्योंकि चीड़ के पेड़ में लीसा का मात्रा अधिक होता है, जो काफी ज्वलनशील होता है. ये आग को और भी भड़काने का काम करता है. गर्मियों में तापमान अधिक होने के चलते पिरूल में कई बार पत्थरों की घर्षण से स्वतः ही आग लग जाती है.

पढ़ें- सड़क हादसों पर नहीं लग रही लगाम, 3 साल के आंकड़े देखकर चौंक जाएंगे आप

मिली जानकारी के मुताबिक, कुमाऊं के जंगलों से हर साल 2 लाख क्विटंल लीसा का कारोबार किया जाता है. इस कारोबार में वन विभाग और अन्य क्षेत्र के हजारों लोग जुड़े हुए हैं.

पढ़ें- कोटद्वार के कैफ का नाम गिनीज बुक में दर्ज, पैर से तीन मिनट में खाए 65 अंगूर

मुख्य सुरक्षा अधिकारी संजीव कुमार का कहना है कि वनों में आग लगने में वन विभाग भी जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि, वन विभाग के जंगलों में पड़ी पाइपलाइनें या तो क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं या बंद पड़ी हैं. ऐसे में अगर जंगलों में आग लगती है तो वन विभाग के पास इससे निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं है. वन विभाग फायर सीजन से पहले अपने जंगलों में लगे पाइप लाइनों को ठीक करवा ले तो जंगल में लगी आग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ लगातार आग से धधक रहे हैं. वन विभाग आग पर काबू पाने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन नाकाम साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि पहाड़ों पर आग लगने का मुख्य कारण चीड़ के पेड़ हैं.

इस वजह से उत्तराखंड के जंगलों में लगती है आग.

उत्तराखंड में हर साल आग की घटनाओं में पहाड़ के हजारों हेक्टेयर वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है. वन विभाग पहाड़ पर लगने वाली आग को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित होता है. वन विभाग का मानना है कि ये आग लगने की मुख्य वजह चीड़ के पेड़ हैं. चीड़ के पेड़ से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है लेकिन हर साल इन्हीं से करोड़ों की वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है.

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बताया जाता है कि पहाड़ के जंगलों में भारी मात्रा में सूखे हुए पत्ते होते हैं, इन्हीं पत्तों में चीड़ की सुखी हुई पत्तियां (पिरूल) भी होती हैं, जो अतिज्वलनशील होती हैं, ऐसा इसलिये क्योंकि चीड़ के पेड़ में लीसा का मात्रा अधिक होता है, जो काफी ज्वलनशील होता है. ये आग को और भी भड़काने का काम करता है. गर्मियों में तापमान अधिक होने के चलते पिरूल में कई बार पत्थरों की घर्षण से स्वतः ही आग लग जाती है.

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मिली जानकारी के मुताबिक, कुमाऊं के जंगलों से हर साल 2 लाख क्विटंल लीसा का कारोबार किया जाता है. इस कारोबार में वन विभाग और अन्य क्षेत्र के हजारों लोग जुड़े हुए हैं.

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मुख्य सुरक्षा अधिकारी संजीव कुमार का कहना है कि वनों में आग लगने में वन विभाग भी जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि, वन विभाग के जंगलों में पड़ी पाइपलाइनें या तो क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं या बंद पड़ी हैं. ऐसे में अगर जंगलों में आग लगती है तो वन विभाग के पास इससे निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं है. वन विभाग फायर सीजन से पहले अपने जंगलों में लगे पाइप लाइनों को ठीक करवा ले तो जंगल में लगी आग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.

Intro:एंकर- पहाड़ों पर लगने वाला आंख का कारण चीड़ का पेड़ स्पेसल ( विजुअल मेल से जबकि बाइट मोजो से उठाएं)
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित /हल्द्वानी
एंकर -उत्तराखंड के पहाड़ लगातार आग से धधक रहे हैं। वन विभाग आग पर काबू पाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है लेकिन आग पर काबू पाने में नाकाम साबित भी हो रहा है। पहाड़ों पर आग लगने का मुख्य कारण चीड़ का पेड़ बताया जा रहा है।
देखिए एक रिपोर्ट--------


Body:दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ वनअग्नि से लगातार धधक रहे हैं। हर साल आग की घटनाओं में पहाड़ के हजारों हेक्टेयर वन संपदा जलकर पूरी तरह से खाक हो जाता है । वन विभाग पहाड़ पर लगने वाले आग को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित होता है। बताया जाता है कि पहाड़ों पर लगने वाले अधिक मामलों में चीड़ का पेड़ बताया जाता है। चीड़ के पेड़ से निकलने वाले इससे जहां सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है तो वही प्रतिवर्ष करोड़ों के वन संपदा जलकर खाक हो जाता है। बताया जाता है कि पहाड़ के जंगलों में भारी मात्रा में सूखे हुए पत्ते बड़े होते हैं इन्हीं पत्तों में चीड़ के सुखी हुई पत्ती ( पिरूल) भी होती है जो अति ज्वलनशील पत्ते के रूप में जाना जाता है। चीड़ के पेड़ में लिसा का मात्रा होता है जो आग को भड़काने के रूप में काम करता है गर्मियों में ज्यादा तापमान के चलते चीड़ के पिरूल में कई बार पत्थरों की घर्षण से स्वतः ही आग लग जाता है। जो आज विकराल रूप धारण कर जंगल को अपने आगोश में ले लेता है ।बताया जाता है कि चीड़ के पत्ते में लिसा का मात्रा होता है जो आग तेजी से फैलता है।

बाइट- संजीवा कुमार मुख्य अग्नि सुरक्षा अधिकारी जिला नैनीताल
जानकार भी बताते हैं कि पहाड़ों पर लगने वाले आग में कई बार लिसा कारोबारीयो का भी हाथ भी होना पाया जाता है। बताया जाता है कि लिसा माफिया अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए कई बार लिसा के जंगलों को आग के हवाले कर देते हैं ।
कुमाऊ के जंगलों से हर साल 2 लाख कुंटल लिसा का कारोबार किया जाता है । और इस कारोबार में वन विभाग से लेकर हजारों लोग जुड़े हुए हैं।



Conclusion:मुख्य सुरक्षा अधिकारी संजीवा कुमार का कहना है कि वनों में आग लगने के वन विभाग भी जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि वन विभाग के जंगलों में पड़े पाइपलाइन या तो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं या बंद पड़े हैं ऐसे में अगर जंगलों में आग लगता है तो वन विभाग के पास निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं है। वन विभाग फायर सीजन से पहले अपने जंगलों में लगे पाइप लाइनों को ठीक करवा लेता तो जंगल में लगी आग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता हैं।
बाइट- संजीवा कुमार मुख्य अग्नि सुरक्षा अधिकारी जिला नैनीताल
फिलहाल पहाड़ के जंगल लगातार धधक रहे हैं। वन विभाग अब इंद्रदेव के भरोसे हैं कब बरसात होगी और इन जंगल की आग बुझ जाएगी।
Last Updated : May 10, 2019, 8:06 PM IST
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