नैनीताल: उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी शराब की दुकानों के ठेकेदारों को 196 करोड़ की राहत देने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है. अब मामले में 24 जून को सुनवाई होगी.
बता दें, देहरादून निवासी उमेश कुमार शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड के शराब कारोबारियों पर करीब 196 करोड़ का राजस्व यह कहते हुए माफ कर दिया है कि लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड में शराब की दुकानें बंद थी, जिस वजह से शराब कारोबारियों को नुकसान हो रहा है.
वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में केवल शराब व्यवसायियों को ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के छोटे से लेकर बड़े व्यवसाय कोई नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार के द्वारा केवल शराब कारोबारियों को राहत दी गई है. सरकार ने आम जनता के लिए किसी भी प्रकार की कोई छूट का प्रावधान नहीं किया गया है, लिहाजा सभी कारोबारियों को (आर्टिकल 14) समानता के अधिकार के तहत छूट दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार एक तरफ विशेष तबके के लोगों को फायदा दे रही है, तो दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारी के वेतन भत्तों में करीब 30% की कटौती की है. याचिकाकर्ता ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार जो कर रही है वह गलत है और प्रदेश में अलग-अलग वर्गों के लोगों के लिए भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है.
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आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही याचिकाकर्ता से पूछा है कि वो कोर्ट को बताएं कि आखिर सरकार किस तरह से शराब कारोबारियों और जनता के साथ भेदभाव कर रही है, अब मामले की सुनवाई 24 जून को होगी.