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नैनीताल पर मंडरा रहा खतरा, भूस्खलन से दरक रही चाइना पीक की पहाड़ी, दहशत में लोग

नैनीताल चाइना पीक की पहाड़ी में लगातार भूस्खलन हो रहा है. पहाड़ी से मलबा और बोल्डर आबादी तक पहुंच रहे हैं, जो हादसों का सबब बन सकते हैं. वहीं पहाड़ी से लगातार भूस्खलन होने से स्थानीय लोग दहशत में हैं.

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Published : Jul 3, 2023, 11:01 AM IST

Updated : Jul 3, 2023, 11:11 AM IST

भूस्खलन से दरक रही चाइना पीक की पहाड़ी

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी कही जाने वाली चाइना पीक में लगातार भूस्खलन हो रहा है. बीते देर रात पहाड़ी से एक बार फिर भूस्खलन हुआ, जिसके चलते अब क्षेत्रवासियों में दहशत देखने को मिल रही है. पहाड़ी के ऊपरी छोर में करीब एक मीटर से अधिक चौड़ी दरार पड़ गई है. वहीं 80 के दशक से चाइना पीक की पहाड़ी पर लगातार बड़ा भूस्खलन हो रहा है. जिसके बाद से पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए अब तक कोई बड़ी कार्य योजना नहीं बनी. बारिश में लगातार भूस्खलन होने से तलहटी पर रहने वाले लोग दहशत में हैं.

कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर बहादुर सिंह कौटल्या बताते हैं कि चाइना पीक की पहाड़ी पर समय-समय पर हो रहा भूस्खलन आने वाले समय में एक बड़ा खतरा नैनीताल के लिए बन सकता है. पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए उन्होंने अध्ययन रिपोर्ट पूर्व में शासन को भेजी है. जिस पर सरकार ने आज तक कोई अमल में नहीं किया. जिसके चलते समय-समय पर भूस्खलन हो रहा है. अगर समय रहते भूस्खलन को रोकने के लिए ठोस नीति बनाकर कार्य शुरू नहीं किए तो जल्द ही पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन देखने को मिल सकता है.

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भूस्खलन से रोड पर गिरा पत्थर
पढ़ें-उत्तराखंड में आसमानी 'आफत' ने मचाई 'तबाही', कहीं दबी गाड़ियां तो कहीं बह गई सड़कें, देखे तस्वीरें

क्षेत्रीय निवासी सुरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि इससे पूर्व साल 1984 में भी पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन हुआ था. भूस्खलन से कई घर, घोड़े, मलबे में दब गए थे. जिसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूखाताल,आयरपटा,यूथ हॉस्टल, प्राइमरी स्कूल समेत आसपास के क्षेत्रों में विस्थापित किया. उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भूस्खलन का मलबा और बोल्डर आबादी तक ना पहुंचे इसके लिए पहाड़ी में दस-दस फीट ऊंची दीवार बनाई. कुछ सालों तक पहाड़ी में भूस्खलन का मलबा इन दीवारों पर अटक रहा. लेकिन अब दीवारों पर मलबा पूरी तरह से भर चुका है.

जिसके चलते पत्थर अब आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे हैं. जिससे क्षेत्रीय लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. 80 साल के बुजुर्ग गोपाल सिंह बिष्ट बताते हैं कि पहाड़ी से साल 2014-15 में तीन बार, 2018 में दो बार, 2019 में 3 बार भूस्खलन हुआ. अब भूस्खलन से गिरने वाला मलबा और बोल्डर लगातार आबादी वाले क्षेत्रों और सड़कों पर गिर रहे हैं. जिससे लोगों को खतरा बना हुआ है.

भूस्खलन से दरक रही चाइना पीक की पहाड़ी

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी कही जाने वाली चाइना पीक में लगातार भूस्खलन हो रहा है. बीते देर रात पहाड़ी से एक बार फिर भूस्खलन हुआ, जिसके चलते अब क्षेत्रवासियों में दहशत देखने को मिल रही है. पहाड़ी के ऊपरी छोर में करीब एक मीटर से अधिक चौड़ी दरार पड़ गई है. वहीं 80 के दशक से चाइना पीक की पहाड़ी पर लगातार बड़ा भूस्खलन हो रहा है. जिसके बाद से पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए अब तक कोई बड़ी कार्य योजना नहीं बनी. बारिश में लगातार भूस्खलन होने से तलहटी पर रहने वाले लोग दहशत में हैं.

कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर बहादुर सिंह कौटल्या बताते हैं कि चाइना पीक की पहाड़ी पर समय-समय पर हो रहा भूस्खलन आने वाले समय में एक बड़ा खतरा नैनीताल के लिए बन सकता है. पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए उन्होंने अध्ययन रिपोर्ट पूर्व में शासन को भेजी है. जिस पर सरकार ने आज तक कोई अमल में नहीं किया. जिसके चलते समय-समय पर भूस्खलन हो रहा है. अगर समय रहते भूस्खलन को रोकने के लिए ठोस नीति बनाकर कार्य शुरू नहीं किए तो जल्द ही पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन देखने को मिल सकता है.

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पढ़ें-उत्तराखंड में आसमानी 'आफत' ने मचाई 'तबाही', कहीं दबी गाड़ियां तो कहीं बह गई सड़कें, देखे तस्वीरें

क्षेत्रीय निवासी सुरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि इससे पूर्व साल 1984 में भी पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन हुआ था. भूस्खलन से कई घर, घोड़े, मलबे में दब गए थे. जिसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूखाताल,आयरपटा,यूथ हॉस्टल, प्राइमरी स्कूल समेत आसपास के क्षेत्रों में विस्थापित किया. उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भूस्खलन का मलबा और बोल्डर आबादी तक ना पहुंचे इसके लिए पहाड़ी में दस-दस फीट ऊंची दीवार बनाई. कुछ सालों तक पहाड़ी में भूस्खलन का मलबा इन दीवारों पर अटक रहा. लेकिन अब दीवारों पर मलबा पूरी तरह से भर चुका है.

जिसके चलते पत्थर अब आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे हैं. जिससे क्षेत्रीय लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. 80 साल के बुजुर्ग गोपाल सिंह बिष्ट बताते हैं कि पहाड़ी से साल 2014-15 में तीन बार, 2018 में दो बार, 2019 में 3 बार भूस्खलन हुआ. अब भूस्खलन से गिरने वाला मलबा और बोल्डर लगातार आबादी वाले क्षेत्रों और सड़कों पर गिर रहे हैं. जिससे लोगों को खतरा बना हुआ है.

Last Updated : Jul 3, 2023, 11:11 AM IST
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