हल्द्वानी: लालकुआं अनुसंधान केंद्र वैसे तो कई विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों का संरक्षण करने का काम कर रहा है, लेकिन अब अनुसंधान केंद्र ने सुगंधित पौधों का संरक्षण करने का काम भी शुरू कर दिया है. वन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां 61 प्रजाति के सुगंधित पौधों को संरक्षित किया जाएगा.
लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी नवीन रौतेला ने बताया कि अनुसंधान केंद्र कई विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों का संरक्षण करने का काम लंबे समय से चल रहा है. इसी के तहत अब केंद्र में सुगंधित पौधों का संरक्षण भी किया जाएगा, जिन्हें देश के अलग-अलग राज्यों से यहां मंगवाया जा रहा है.
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उन्होंने बताया कि इसमें 6 प्रकार के लेमन और 4 प्रकार के मेंथा प्रजाति के पौधे शामिल हैं, साथ ही मुख्य रूप से नागालैंड से लाई गई मेंथा-सी की लेमन ग्रास प्रजाति विशेष है. इसके अलावा कपूर, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, रजनीगंधा, फिश मेंट, पाती, अल्फा लिबिया, जंबू सहित 61 सुगंधित पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसमें अधिकतर वनस्पतियां आयुर्वेदिक औषधियां हैं, जो धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है, जिनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है.
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नवीन रौतेला ने बताया कि अनुसंधान केंद्र का मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रही औषधियों और सुगंधित पौधों का संरक्षण करना है, जिसके तहत कई प्रदेशों के वनस्पतियों को लाकर संरक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है.