हल्द्वानी: आपने सब्जियों से लेकर हर तरह की सामानों की बिक्री की मंडी की बात तो सुनी होगी. लेकिन इंसानों की मंडी सुनकर आपको आश्चर्य होगा. लेकिन हल्द्वानी के अब्दुल्ला बिल्डिंग के पास एक ऐसी मंडी है जहां हर रोज इंसानों की बोली लगती है. आइये जानें इस मंडी के बारे में आखिर कैसे यहां बिकते हैं इंसान.
दरअसल, हल्द्वानी के अब्दुल्ला बिल्डिंग के पास हर रोज इंसानों की मंडी लगती है. यहां पर भारी संख्या में मजदूर पहुंचते हैं और अपने काम और रोजी- रोटी के लिए खुद की बोली लगाने के लिए मजबूर होते हैं. यहां पिछले कई सालों से इंसानों की मंडी लग रही है. लेकिन कोरोना संकट के बाद इस मंडी में इंसान बिकने के लिए कुछ ज्यादा ही पहुंच रहे हैं. क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है और मजबूरन मजदूरी के लिए उनकी बोली लग रही है. यहां मजदूर अपने आप को बेचने के लिए मजबूर हैं.
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मंडी में मजदूरों की खरीदारी के लिए लोग आते हैं और बोली लगाकर जिस रेट में जो मजदूर काम करने को तैयार होता है उसे अपने साथ लेकर चले जाते हैं. मजदूर काम करके शाम को घर लौट आते हैं. मजदूरी से मिले पैसे से अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. अगले दिन फिर सुबह इंसानों की मंडी में पहुंच अपने आप की बोली लगाने को मजबूर हो जाते हैं. मजदूर सुबह 6:00 बजे रोजाना इस मंडी में पहुंचते हैं और 10:00 बजे तक इसी तरह से अपने आप को बेचने के लिए खड़े रहते हैं. लोग आते हैं और उन मजदूरों को मजदूरी के हिसाब से खरीदकर ले जाते हैं.
सरकार किसानों और मजदूरों को रोजगार देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाए जाने की बात करती है. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सरकार मनरेगा के तहत मजदूरों को 100 दिन की रोजगार गारंटी दे रही है. लेकिन इन मजदूरों को सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिलता है और मजबूर मजदूर रोज अपने आप को बेच रहे हैं.