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ढोलक-मंजीरे की थाप पर थिरक रहे होल्यार, कुमाऊंनी होली के रंग में डूबा हल्द्वानी

मतदान से तीन दिन पहले 8 अप्रैल को गढ़वाल में पीएम नरेंद्र मोदी की एक रैली आयोजित की जाएगी. जिसमें भारी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता जुटेंगे.

कुमाऊंनी होली के रंग में डूबा हल्द्वानी
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Published : Mar 18, 2019, 9:47 AM IST

Updated : Mar 18, 2019, 10:15 AM IST

हल्द्वानी: कहते हैं कि जब फागुन चढ़ता है तो सारे मतभेद खत्म हो जाते हैं. सिर्फ प्रेम का रंग ही शेष रह जाता है. हम बात कर रहे है होली की. हल्द्वानी में इन दिनों कुमाऊंनी होली का उत्साह पूरे शबाब पर है. जगह-जगह बैठकी होली की महफिल सज रही है. ढोलक और मंजीरे की थाप पर होल्यार होली के रंग में रंगे दिखाई दे रहे हैं. वहीं गली, मोहल्लों में सुनाई दे रहे होली गीतों की गूंज माहौल में उल्लास के रंग घोल रही है.

कुमाऊंनी होली के रंग में डूबा हल्द्वानी

पढ़ें-होली से पहले आमलकी एकादशी का है बड़ा महत्व, भगवान विष्णु से है संबंध

कुमाऊंनी होली की शुरूआत बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है. महिलाओं में कुमाऊंनी होली का विशेष महत्व होता है, जो समाज को एकजुटता के संदेश देते हुए प्रेम भाव में बांधने का काम करती हैं. रंगो के इस पर्व में सारे गिले-शिकवा छोड़कर महिलाएं, पुरुष और बच्चे प्रेम भाव के एक रंग में रंग जाते है.

शहर में ढोल-झांझन के स्वरों के बीच महिला होलियार घर-घर जाकर होली गायन कर रही हैं. शहर में होली के अवसर विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजन किए जा रहे हैं.

महिला होलियार खुशी जोशी ने बताया कि उन्हें साल भर कुमाऊंनी होली की इंतजार रहता है. कुमाऊंनी होली की शुरूआत बसंत पंचमी से परवान चढ़ती है. जिसमें स्वांग रचा जाता है और महिलाएं होली गाकर उसका आनंद लेती है.

इसी के साथ कुमाऊं में खड़ी और बैठकी होली अपने पूरे शबाब पर है. इस दौरान हल्द्वानी में पहाड़ी संस्कृति के साथ कुमाऊंनी की झलक देखने को मिल रही है, जो लोगों को सालभर याद रहती है.

हल्द्वानी: कहते हैं कि जब फागुन चढ़ता है तो सारे मतभेद खत्म हो जाते हैं. सिर्फ प्रेम का रंग ही शेष रह जाता है. हम बात कर रहे है होली की. हल्द्वानी में इन दिनों कुमाऊंनी होली का उत्साह पूरे शबाब पर है. जगह-जगह बैठकी होली की महफिल सज रही है. ढोलक और मंजीरे की थाप पर होल्यार होली के रंग में रंगे दिखाई दे रहे हैं. वहीं गली, मोहल्लों में सुनाई दे रहे होली गीतों की गूंज माहौल में उल्लास के रंग घोल रही है.

कुमाऊंनी होली के रंग में डूबा हल्द्वानी

पढ़ें-होली से पहले आमलकी एकादशी का है बड़ा महत्व, भगवान विष्णु से है संबंध

कुमाऊंनी होली की शुरूआत बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है. महिलाओं में कुमाऊंनी होली का विशेष महत्व होता है, जो समाज को एकजुटता के संदेश देते हुए प्रेम भाव में बांधने का काम करती हैं. रंगो के इस पर्व में सारे गिले-शिकवा छोड़कर महिलाएं, पुरुष और बच्चे प्रेम भाव के एक रंग में रंग जाते है.

शहर में ढोल-झांझन के स्वरों के बीच महिला होलियार घर-घर जाकर होली गायन कर रही हैं. शहर में होली के अवसर विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजन किए जा रहे हैं.

महिला होलियार खुशी जोशी ने बताया कि उन्हें साल भर कुमाऊंनी होली की इंतजार रहता है. कुमाऊंनी होली की शुरूआत बसंत पंचमी से परवान चढ़ती है. जिसमें स्वांग रचा जाता है और महिलाएं होली गाकर उसका आनंद लेती है.

इसी के साथ कुमाऊं में खड़ी और बैठकी होली अपने पूरे शबाब पर है. इस दौरान हल्द्वानी में पहाड़ी संस्कृति के साथ कुमाऊंनी की झलक देखने को मिल रही है, जो लोगों को सालभर याद रहती है.

Intro:सलग- कुमाऊनी होली स्पेशल
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित/ हल्द्वानी
एंकर- कहते हैं कि जब फागुन चढ़ता है तो सारे मतभेद खत्म हो जाते हैं सिर्फ प्रेम का रंग ही शेष रह जाता है और सब उसी रंग में सराबोर रहते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं होली की और कुमाऊं में इन दिनों होली किस शबाब पर है आइए दिखाते हैं.......



Body:कुमाऊ का प्रवेश द्वार हल्द्वानी जहां उत्तराखंड के विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्र के लोग यहां बसते हैं ।यहां रंगारंग होली की शुरुआत बसंत पंचमी से ही हो जाती है ।महिलाओं की कुमाऊनी होली का यहां अपना विषेष महत्व होता है जो समाज को एकजुटता का संदेश देते हुए प्रेम भाव में बांधने का काम करता है। रंगो के इस पर्व में सारे गिले-शिकवे छोड़ो महिलाएं पुरुष बच्चे एक रंग में प्रेम भाव से होली खेलते हैं ।खासकर कुमाऊं की महिला होलियार साल से होली का इंतजार करती है। और महिलाओ को खुलकर होली में आनंद लेने का अवसर मिलता है। महिलाये अलग अलग जाकर होली के मधुर गीत में जमकर आनंद लेती है यही नहीं होली में अलग-अलग भाषाओं और विधाओं की कला का प्रदर्शन भी होता है। सभी सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों की होली एक रंग में दिखती है।

बाइट -खुशी जोशी होलियार

कुमाऊ की पहाड़ी होली को जीवंत रखने वाली महिला होलीयारों का कहना है कि बसंत पंचमी से रसिक होली गायन की शुरुवात हो जाता है जिसमें स्वांग रचा जाता है और महिलाएं होली गाकर उसका आनंद लेती है।
बाइट -महिला होलियार


Conclusion:वहीं पुरुषों महिलाओं की बैठकी और खड़ी होली भी पूरे शबाब पर है जगह जगह पर हो रहे खड़ी और बैठ की होली में पहाड़ी संस्कृति के अलावा क्लासिकल का भी इनपुट मिल देखने को मिल रहा है।
बात अगर कुमाऊं की बैठकी और खड़ी होली की करें तो इसमें रास और रंग के स्वाग की मस्ती भी है जो लोगों को सालों से मनोरंजन करते आ रहे हैं।
Last Updated : Mar 18, 2019, 10:15 AM IST
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