हल्द्वानी: आधुनिकता की दौड़ी में नई पीढ़ी अपनी स्थानीय भाषा, परंपरा, लोक संस्कृति, नृत्य और गीतों से दूर होती जा रहे है. स्कूली बच्चे स्थानीय भाषाओं को बोलने में असमर्थ हो रहे हैं. इसीलिए बच्चों को अपनी संस्कृति और भाषा से जोड़ने के लिए उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने नई पहल की है. अब कुमाऊं के सभी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को लोक नृत्य झोड़ा, चाचरी और न्योली के बारे में पढ़ाया जाएगा. यानी शिक्षा विभाग इसे पाठयक्रम में शामिल करने जा रहा है. ताकि कुमाउंनी भाषा को बढ़ावा मिल सके.
शिक्षा विभाग कुमाऊं मंडल के सभी प्राइमरी स्कूलों में जल्द ही कुमाउंनी भाषा का पाठ्यक्रम लागू करने जा रहा है, जिसके लिए पुस्तकें भी उपलब्ध जा रही हैं. पहले चरण में ये प्रोजेक्ट कुमाऊं मंडल के छह ब्लॉक में शुरू किया जाएगा. जिसके बाद मंडल के सभी स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा.
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मुख्य शिक्षा अधिकारी कमलेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है. कुमाऊं मंडल के नैनीताल के भीमताल ब्लॉक, अल्मोड़ा के हवालबाग, बागेश्वर के बागेश्वर, पिथौरागढ़ के विणं, चंपावत के चंपावत और उधम सिंह नगर के रुद्रपुर ब्लाक को पहले चरण में शामिल किया गया है. सभी स्कूलों को कुमाउंनी भाषा की पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी.
उन्होंने बताया कि कुमाउंनी भाषा के लिए पांच पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही है. जिसमें कक्षा 1 के विद्यार्थियों के लिए घगुली, कक्षा 2 के लिए हंसुली, कक्षा 3 के लिए छबुकि, कक्षा 4 के लिए पैजबी और कक्षा 5 के बच्चों के लिए झुमकी नाम की पुस्तके तैयार की गई हैं. इन किताबों के माध्यम से पहाड़ के बच्चों को उनकी परंपरिक कुमाऊंनी और पारंपरिक संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा.