हल्द्वानी: हर साल बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा धूमधाम से की जाती है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनायी जाती है. इस दिन का हिन्दू धर्म में खास महत्व है. मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है. शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था.
बसंत पंचमी पर्व का महत्व: सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं. ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू हो रही है. समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य होती है. इसलिए बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा.
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जानिए क्या है मान्यता: मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा-पाठ से ज्ञान और सफलता की प्राप्ति होती है. देवी सरस्वती से सर्व मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. बसंत पंचमी के दिन विशेष कर छात्र व विद्यार्थी वर्ग के लोग पूजा-पाठ करते हैं, क्योंकि वीणा वादिनी देवी सरस्वती बुद्धि, विद्या और ज्ञान की देवी कहलाती हैं. इसलिए पढ़ाई या परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए.
इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा: बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग का वस्त्र पहनें. इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने विधि-विधान से पूजन शुरू करें. मां सरस्वती को पीले चंदन, केसर का तिलक लगाएं. पीला फूल और पीला वस्त्र मां सरस्वती को समर्पित करें. साथ ही पीला फल और मिष्ठान इत्यादि का भोग लगाएं. शिक्षा ग्रहण करने वाले शिक्षार्थी मां शारदे को किताब इत्यादि समर्पित करें. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.