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कालाढूंगी में इफको ने किया किसान सभा का आयोजन, उन्नत खेती की दी जानकारी

कालाढूंगी में इफको ने किसान सभा का आयोजन किया. इस दौरान किसानों को प्राकृतिक खेती, जीरो बजट फार्मिंग की जानकारी दी गई.

Kisan Sabha in kaladhungi
कालाढूंगी में इफको ने किया किसान सभा का आयोजन
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Published : Dec 17, 2021, 5:01 PM IST

Updated : Dec 17, 2021, 5:39 PM IST

कालाढूंगी: नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक (Kotabagh Block) में काश्तकार विकास समिति सभागार (Tenant Development Committee Kotbagh) में इफको द्वारा किसान सभा का आयोजन (Kisan Sabha organized by IFFCO) किया गया. सभा में सभी जिलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक खेती (natural farming), जीरो बजट फार्मिंग (zero budget farming) पर विस्तार से चर्चा की गई.

इस सभा में किसानों को खेती में होने वाले फालतू खर्चों के बारे में बताया गया. किसान अपने खेतों में ज्यादा से ज्यादा यूरिया और केमिकल का इस्तेमाल करके अपना ही नुकसान करता आ रहा है. यदि किसान अपने खेतों पर घर में बनी जैविक दवाइयों का इस्तेमाल (use of biologics drug) करता है तो एक उसकी खेती अच्छी हो जाएगी, दूसरा उसकी लागत भी कम होगी. साथ ही फसल का मूल्य भी अच्छा मिलेगा.

कालाढूंगी में इफको ने किया किसान सभा का आयोजन

ये भी पढ़ें: गढ़वाल मंडल के लिए BJP के 70 LED प्रचार रथ रवाना, मदन कौशिक ने दिखाई हरी झंडी

कार्यक्रम में बताया गया कि किसान को मिलने वाली यूरिया ₹3 हजार प्रति कट्टा होती है. किसान को यह यूरिया सब्सिडी में 270 में मिलती है. यदि सरकार इस सब्सिडी को बंद कर दे तो किसानों का क्या होगा ? इसलिए आज से ही किसानों को इसकी तैयारी करायी जा रही है. ताकि किसान अपनी खेती के खर्चे को कम कर सकें.

किसान कट्टे की यूरिया के जगह नैनो यूरिया का इस्तेमाल (use of nano urea) कर अपने खर्चे को कम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण भी बचा रहेगा और खेती में भी लाभ होगा.

कालाढूंगी: नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक (Kotabagh Block) में काश्तकार विकास समिति सभागार (Tenant Development Committee Kotbagh) में इफको द्वारा किसान सभा का आयोजन (Kisan Sabha organized by IFFCO) किया गया. सभा में सभी जिलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक खेती (natural farming), जीरो बजट फार्मिंग (zero budget farming) पर विस्तार से चर्चा की गई.

इस सभा में किसानों को खेती में होने वाले फालतू खर्चों के बारे में बताया गया. किसान अपने खेतों में ज्यादा से ज्यादा यूरिया और केमिकल का इस्तेमाल करके अपना ही नुकसान करता आ रहा है. यदि किसान अपने खेतों पर घर में बनी जैविक दवाइयों का इस्तेमाल (use of biologics drug) करता है तो एक उसकी खेती अच्छी हो जाएगी, दूसरा उसकी लागत भी कम होगी. साथ ही फसल का मूल्य भी अच्छा मिलेगा.

कालाढूंगी में इफको ने किया किसान सभा का आयोजन

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कार्यक्रम में बताया गया कि किसान को मिलने वाली यूरिया ₹3 हजार प्रति कट्टा होती है. किसान को यह यूरिया सब्सिडी में 270 में मिलती है. यदि सरकार इस सब्सिडी को बंद कर दे तो किसानों का क्या होगा ? इसलिए आज से ही किसानों को इसकी तैयारी करायी जा रही है. ताकि किसान अपनी खेती के खर्चे को कम कर सकें.

किसान कट्टे की यूरिया के जगह नैनो यूरिया का इस्तेमाल (use of nano urea) कर अपने खर्चे को कम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण भी बचा रहेगा और खेती में भी लाभ होगा.

Last Updated : Dec 17, 2021, 5:39 PM IST
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